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डॉ. हर्मन जकोबीनी जैन सूत्रोनी प्रस्तावना.
अंक ३ ]
"कहिए तो, तवाज विषयना वर्णन करवागला कल्पसूत्रना रचना समयना समकालीन ठरावी दे छ.
त्रीजी चूला ते खरेखर वणीज महस्वनी छे. अने आनुं कारण ते तेमां महावीरना जीवन चरित्र मांद मळी आवती हकिकतो छे के—जे हकिकतो ने आधारे 'कल्पसूत्रमानुं महावीर चरित्र लखायुं छे. आचारांग सूत्रना • घणा गद्य भागो बहुज थोडा फेरफार साथे कल्पसूत्रमां नजरे पडे छे. तेमां, ए उपरांत ऐतिहासिक दृष्टिए "महत्त्व धरावती एवी कोई बाबतनो भाग्येज कोई उमेरो थयेलो जोव.मां आवे छे. जे मात्र उमेरवामां आयु छे ते एक साधारण बनेलं, तेमज नवी परिस्थितिने अनुरूप थएला जैन ग्रंथोमां पण अनेक स्थळे जोत्रामा आवतु, तेनुं वर्णन मात्र छे. आ गद्य भागो आचारांग सूत्रमां एवी केटलीक गाथाओ जेनो कल्पसूत्रमां अभाव छे. आ गाथाओंने प्रथम श्रुतस्कंधना आठमा अध्ययनमां आवेली गाथाओ जोड जो आपणे सरखावीए छीए तो आचारांग सूत्रना बे श्रुतस्कंधो वच्चे केटलो मोटो तफावत रहेलो छे ते आपणे सहेजे समजी शकीए छीए. आ बन्ने श्रुतस्कंधोना चर्चित विषयना अंगे कांइज भेद नथी, तेमज वर्णन पण बन्नेमां आर्या गाथामा करवामां आवे छे. परंतु भाषाशैली तथा वृत्तप्रयोगने अंग दृष्टिगोचर थतो भेद एटलो मोटी जणाय छे के तेना कारण ' तरीके ते चने श्रुतस्क धोनी रचना व एक मोटु कालान्तर मानतुं ज पडे हे
उपरांत आंवली हे
लीजी खुलाना उतरार्धमा पंच महाव्रत तथा तेना पच्चीश अत्रांतर भेदोनुंज वर्णन आपलं होवाथी तेना संबंध कांई विवेचन करवानी जरूर नथी. तेमज चोथी चूलानी बार गाथाओना संबंधमा पण एटलेज कहेवा योग्य छे के ते संभवित रीत प्राचीन छे अने तेने आ स्थळे मुकवानुं कारण पण एटलुंज छे के तेने माटे आनाथी बीजं अधिक सुंदर स्थान मळ्युं नहीं होय. आचारांग सूत्रनो मार! आ अनुवाद, में, पालिटेक्स्ट सोसायटीमा प्रकट थयेली मारी पोतानी आवृत्तिन आधार करला. ते उपरांत में आचारांग सूत्रनी कल
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कत्तानी आवृत्तिमां प्रकाशित थपली टीकाओनो उपयोग करेलो छे. जेमनां नामो नीचे प्रमाणे :
१ शीलांक के जेनु बीजुं नाम तत्वादित्य छः तेनी टीका: आ टीकानी रचना शक संवत् ७९८ अर्थात् ई० स० ८७६ मां बाहरी साधुनी सहायताथी समात थई हती.
२ बृहत् खरतर गच्छना आचार्य नामे जिनहंस सूरिनी दीपिका आ दीपिकाः शब्दे शब्द टीका उपरथी उपजावी काढली छे. जा के एमा लख्यु छ के ते शीलांनी टीकानां संक्षेप मात्र छे. परंतु आ संक्षेप एवा प्रकारनो थयो छे के तेमां नियुक्तिनों गाथाओ उपरनी शीलांनी टीप्पण सर्वथा उडावी देवामां आव के जे गाथाओने शीलांक प्रत्येक अध्ययन तथा उद्देशकनी पहेला पोताना उपोद्घात रुपे मूके छे.
३ पार्श्वचन्द्र कृत बालावबोध अथग गुजराती भाष्य: बीजा श्रुतस्कंधना जेकेटलाक भागो प्राचीन टीकाकारो द्वारा समजाववामां नयी आव्या, तेमना विषयमां में आज भाष्यनी मदद लीवेली छे. आ भाष्य सामान्य रीते तो प्राचीन टीकाकारांना खुलासानेज अनुसरे छे छतां पण तेनो वधारे संबंध दीपिका साथ होय तेम जणाय छे.
कल्प सूत्रना विषयमा में लंबाणथी, ते ग्रंथनी मारी आवृत्तिनी प्रस्तावनामां कहेलुंज छे. तेथी ते विषयनी विशेष माहीती मेळववा माटे वाचकने ते पुस्तक जोई लेवा सूच हुं. तेना प्रकाशन समय पछी मो० वेबरे पोताना " जैनोना पवित्र पुस्तको " उपरना frani आ विषयी चर्चा करेली छे अने तमां तेमणे
मारी केटलीक भूलो पण सुवारी छे. तेमणे एवो निश्चय प्रगट कर्यो छ के आखुं कल्पसूत्र, दशाश्रुतस्कंध जे वायुं छेद सूत्र मनाय छे तेना आठमा अध्ययन तरीके लेवानुं छे. मारा आ अभिप्राय सथे मो० वेवर एकमत धरावे छे के " समाचारी " एटले यतिआना आचार
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