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अंक ]
डॉ. हर्मन जेकोबीनी जैन सूत्रोपरनी प्रस्तावना
ते-कायभावना एटले शारीरिक पवित्रतानो अचेल- उल्लेष करतो नथी ते खरे तर आश्चर्यजनक लागे छे. मन्तु कोना आचारने उद्देशाने अर्थ समजावे छे. सच्चकना आ आश्व जनक बापा ने नोचेनी कर ना द्वारा आगे वर्णनमांनी केटलोक विगतो टोकाना अभावे नहीं सहेलाई थी समजावी शकीर छोर, अने ते एपी रोने के समजी शकाय तेवी दुर्बोध छे. परन्तु कटलीक तो तद्दन बौद्ध ग्रंथोमा बहुधा जे अस ठना प्राचीन नियन्यों ना बाबता स्पष्ट छ; अने ते, केटलाक प्रसिद्ध जैन आचारो साथे उल्लखो मळी आव छे, ते (निग्रन्थो) जैन समाजन जे एक संपूर्ण स दृश्य धरावे छे. दाखला तरीके अचेलको पण वर्ग महावीरना उथ व्रतो तो स्वीकार को हतो ते जो जैन साधुओनी म फक भोजननु आमन्त्रण स्वीकारता नहीं, परन्तु महावारन' मतना विरे धी न बजता जे नथी. तेओने माटे आभहत अथवा उहिस्सात अन्न संयुक्त संपदायनां रहीरे पण पोताना प्राचीन संप्रहारना लेवानो निषेध छे. आ बन्ने शब्दो जनोना अभ्याहृत अने केटला 5 खास आचारोने वळगी रह्या हता ते प्रकरना
औद्देशिक शब्दो ( जुओ पृ० १३२ टिप्पण) समान पार्श्वना अनुयायि ओ ह्ता. आ प्रकार ना केटला कोर होय तेम दरेक रीते संभावत छे. वळी तेआने मांस अने नियमो के जे प्राचीन धर्मना अंगभन मनाता न हता मदिरा सेवानी छुट नथी. - केटलाक मात्र एक ज धरे अने जेमने महामारे ज दाखल करेला हता, ते संभाल भिक्षा लेवा जाय छ अने मात्र एक ज ग्रास खोराक ले रीते तेमणे गोसालना अवेलक अथवा आजी व ह नामे छे. केटलाक वधारेमां वधारे सात घेर भिक्षा माटे जाय प्रसिद्ध अनुयायि ओना लीधा हता. अने आनुं कण छे; केटलाक एक ज वार आपेलुं अन्न लईन रहे छः ते तेओए (महावारे) जे छ वर्ष सुधी गोसासनी कंटला क वधारेमां वधार सात वार सुधी आपेलु लईने साथे अत्यंत निकट सहचा तरीके रही तपश्चयां करो हो, रह छ' आ प्रकारना ज जैन साधुओना केटलाक आचा- ते छे. आ प्रमाणे आजीविकोना केटलाक धार्मिक विनागे गे कल्पसूत्रनी सामाचारीमां वर्णवेला छे ( २६, भाग १, अने आचार नो स्वीकार करवामा महावीरने आशय पृ० ३००, अने आ ग्रंथना पृ० १७६; गाथाओ१५अने गोसाल अने तेना अनुयायिओने पोताना पक्षमा देवानो १९). नीचे वर्णवेलो अचलकोनी आचार अने जैनोनो होय एम लागे छे; अने केटल'क समय सुधी तो आ उद्देश आचार बराबर एक ज छ एम स्पष्ट जणाय छे. 'केटलाक सफल पण थयो होय. परन्तु आखरे बन्न नेतानो वच्चे हमेश एक ज वखत भोजन करे के अने केटलाक मतभेद थयो हतो, के जेनु कारण घणं करीन ए प्रश्न दिवसमा एक ज़ वखत भोजन करे छे,' इत्यादि, अने हतो के आ संयुक्त संपदायनो नेता कोण बने. गोसालले ए रीते वधता क्रमे केटलाक ठेठ एक पखवाडीए साथे थएला आ टुंक सभयना सम्बन्धः स्पटरीत महाएक वार भोजन ले छे.' अचेलकोना आवा बधा निय- वीरनी पदवी वणी सुस्थित बनी हती; परन्तु गोसाले, मो अने जैनोना नियमो या तो लगभग एक ज छ अगर जैन हकिकतो अनुसार, पोतानी प्रतिष्ठा गुमाव ही तो अतिशय मळता छे. अने आ प्रकारनुं साम्य जोवा
- अने आ बरे तेना शोकपूर्ण असानयो तेना संप्रदाय मां आवतुं होबा छतां, तथा सञ्चक एक निगण्ठपुत्त गणातो होवाना लीधे तेमना धार्मिक आचारोथी ते परिचित भाविने सखत फटको लाग्यो. होवा छतां, कायभावनाना आदर्श तरीके निग्रन्थोनो आपणे जो के ते बधुं सावीत न करी शकौए, पन्तु
- महावीरे अन्य संपदायोमाथी वणुं लीधुं छे ए. वात नि:१ आ प्रारना उपवासोने जनो उत्थभत्त छठ्ठभत्त इत्यादि मामो अगेछ (जुओ उ.त.त्युमनसपादि। ओपपति सूत्र संशय छे. जैन धर्म यथायमा एक संस्थिति रूप दर्शन ३० IA); अने अ उम्वास करनारा साधुओ अणुक्रमे च उत्थभ- नहीं आवाथी तेमांना मतो तथा सिद्धान्तोना उरा त्तिय, छ भत्तय, इत्यादि नामोथी ओळखाय छे. (जु दा.त. कल्पसूत्र सामाचारी २१.)
घमा सहेलाईथी थई शके तेम हतुं. जे जे संप्रदाय अगर
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