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अंक १]
डॉ. हेमन जेकोबांनी कल्पसूत्रनी प्रस्तावना.
कोणिक ) आवां नामो बौद्धसूत्रोमा जोवामां आवतां नथी, तथापि श्रेण्य या श्रेणिक एवा शब्दो विम्बिसारना बिरुद तरीके जोवामां आवे छे; अने तेनो पुत्र कुणिक, के जे औपपातिकसूत्रमां बिब्भिसारपुत्ततरीके पण ओळखायछे, ते स्पष्ट राते बिम्बिसा रनो पुत्र अजातशत्रुज होवो जोइए. कारण के जैन अने बौद्धसूत्रोमा अनुक्रमे ते बन्नेने पोताना पितानी हत्या करनार तरीके वर्णवेला जोवाय छं. कुणिकनो पुत्र उदायिन् के जेणे जैनपरंपरागत कथानुसार पाटलिपुत्र वसाव्यं हतुं, ते अजातशत्रुनो पुत्र उदयि भद्दकज छे; एम सहेलाईथी साबित करी शकाय एवं छे. कारण के, बौद्धानुं पण तेना संबंधमां तेवुज कथन छे. आ उपरथी एटलं तो निःसंदेह जणाय छे के बिम्बिसार अने अजातशत्रु, जेओ बुद्धना समकालीन हता, तेओ पुनः जैन आगम मां श्रेणिक अने कुणि कना नामे महावीरना समकालीन दृष्टिगोचर थाय छे. तेमनाथी केटलक अंशे अल्पप्रतिष्ठित एवी बीजी व्यक्तिओना संबंधमां पण आवी हकिकत मळी आवे छे. जेमके मंखलिनो पुत्र गोसाल (अथवा जैनानुसार - मक्खलि; मंखलि मक्खालि बिम्बिसार बिब्भिसार ) अने लिच्छवि ( जैन - लेच्छई ) रा - जाओ. अन्य एक दलील प्रो. विल्सन पोताना पक्षमां ए रजु करे छे के, शाक्यसिंह अने वर्धमानना विशेषणो अथवा गुणनामो एक सरल छे. उदाहरण तरीके - बुद्ध, जिन, अने महावीर ( १ ) विगेरे. अने बीजुं पण एक प्रमाण ए छे के बन्नेनी पत्नीनुं नाम यशोदा हतुं. आ प्रमाणोथी, एच्. विल्सन बुद्ध अने महावीर बन्ने एक व्यक्ति छे, एम जणाचे छे, परंतु आ सिवाय ते बन्नेनी बच्चे बीजु कोई प्रकारनं साम्य नथी, कारण के आ सिवायनी जेटली हकिकतो बुद्धना संबंधमां लखवामां आवी छे, तेमांनी एके वर्धमाननी हकिकत साथै मळती आवती नथी. तेमज बन्ने महात्माओनां सगानां नाम, जन्मभूमी, शिष्यपरिवार, आयुर्मर्यादा, तथा तेमना जीवनना
अद्भूत बनावो अने आचार-विचारो के जे मना उपदेशो उपरथी तारवी शकारछे ते सघळां त भिन्न भिन्न छे. हुं आ स्थळे मात्र एक लीज बाब उप थोडी चर्चा करीश. पहेली बाचतांने टीकाग जरूर नथी. हुं ज्यां सुधी निर्णय करी शक्यो छु, રા उपरथी, महावीरनुं मानसिक वळण वीतराग (विक्त) जीवन तरफ हतुं तेमनो उपदेश पण मुख्य चे करींगे आध्यात्मिक ज्ञान अने धार्मिक आचारणोने लग तोज छे. तेमनुं तत्त्वज्ञान अथवा परमार्थ (अध्यात्मक) स्वरूप विषयक ज्ञान न्यायशास्त्रनी पूर्वापर संगातनः दृष्टिए उत्कृष्ट जणांत नथी, कारण के ते गंभीर अने सर्वांगपूर्ण शोध ( गवेषणा ) करवाने बदले मात्र मूक्ष्म अने श्रमसाधित भेदो ( विकल्पो ) उभ करे छे. आ सिद्धान्तनुं नाम स्याद्वाद छे, अन शून्यवाद के जे बौद्ध तत्त्वज्ञानने पोतानी जम गूंचवी नांखे छे, तेना भयथी पोताने दूर राखे हे. Flux ) सिद्धान्त हेरेक्टिसना पर्यायवाद साथे थोडेक अंशे मळतो आवे छे—जो के एतेना जेटलो गहन नथी. महावीर सर्वसामान्य मान्यता प्रमाणे आत्मानुं नित्य- अस्तित्व अने धामिक तपश्च रणना प्रभाव (सामर्थ्य) ने विशेष माने छे; त्यारे बौद्धो आ बन्ने सिद्धान्तोनी विरुद्ध कथन करे छे महावीरनं नीतितत्त्वशास्त्र पण मात्र जेम हिंदुधर्मना बोजा घृणा संप्रदायोमां जोवामां आवे छे तेम साधुजीवनना नियमोनुज वर्णन करी विराम पाम है. टुंकामा महावीर हिंदुस्थानना धार्मिक पुरुषो साधारण प्रकारना लागे छे, धार्मिक विषयोना सब धमां तेमनी बुद्धिशक्ति हती खरी; परंतु बुद्धमां जेवी प्रतिभाशक्ति निःसंशयरीते मानी शकाय छे, तेवी तो, तेमनामां न हती, बुद्ध पोताना तात्त्विक विचारो ठेठ शून्यवादना किनारा - अंतिम मर्यादा - सुधी लई जाय छे. अने तेम करवा छतां पण, तेओ पोताना तर्कने तद्दन स्पष्ट राखवा पूर्ण काळज राखे छे, तेओ पांडित्यदर्शक भेदोपभेदो देखाडवार
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