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भाग १ ]
॥ अर्हम् ॥
जैन साहित्य संशोधक
गुजराती लेख विभाग
डॉ. हर्मन जेकोबीनी कल्पसूत्रनी प्रस्तावना.
[ अंक १
[ अनुवादक-श्रीयुत अंबालाल चतुरभाई शाहा, बी.ए. ]
[ नोट: - लीप्झीग (जर्मनी) मां प्रकट थती (Abandlungen fur die Kunde des Mo-genjandes' नामनी प्रथमालामां, ई० स० १८७९ मां डॉ. हर्मन जेकोबीए रोमन लापमा विस्तृत प्रस्तावना, उपयोगी टिप्पण, विविध पाठांतरी, अने प्राकृत संस्कृत शब्दकोष साथ भद्रबाहुस्वामी विरचित कल्पसूत्र प्रकट कराव्यं हतुं. ए पुस्तकनी, प्रस्तावनामा ए विद्वान् जैन स्कॉलरे कल्पसूत्र साथ संबंध धरावनारी बातो सिवाय बीजी पण घणीक बाबतो लंबाणथी चर्चेली छे, अने तेमा, तेमना पहेलांना जे केटलाक प्रसिद्ध यूरोपीय स्कॉलरोए जैनधर्मनी ऐतिहासिकता अने स्वतंत्रताना संबंधां जुदा जुदा भ्रांतिवाळा विचारो प्रकट करेला हता, तेमनुं संक्षेपमा निरसन कर्ये छे. डॉ. जेकोबीनुं ए अमूल्य अने प्रारंभिक पुस्तक आजे दुर्लभ थई गयुं छे, तेमज जैनसमाजना मोटा भागने - इंग्रेजी के लवणी लीला ग्रेज्युएटो सुद्धां ने ए वतनी खबर नथी के उक्त विद्वाने पोताना ए उपयोगी पुस्तकमां जैनधना विषयमा केवा केवा विचारो प्रदर्शित कर्या छे. तेथी ए पुस्तकनी प्रस्तावनानो सरल अनुवाद अत्र आपवामां आवे छे.
ठेका एट सूची देवूं जरूरनं छे के आ लेखमां जणावला, तथा एवा बीजा लेखो, के जे हमेशां आ पत्रमा प्रकट थता रहेशे तेमां जणावेला बधा विचारो साथ संपादक संमत छे, एम समजी लेवानी कोईए भूल न करवी. संपादक हमेशां पोताना स्वतंत्र लेखोक्त विचारो माटेज जवाबदार होय छे तेमज अन्य लेखकोना विचारो पण हमेशां एक सरखाज रहे छे, एम पण कोईए दृढ धारणा न करी लेवी. ज्ञान अने साघनोना अनुसारे मोटा मोटा लेखकोना विचारामां पण परिवर्तन थतुं रहे छे, ए. सर्वानुभवसिद्ध हकिकत छे. एज नियमानुसार डॉ. जेकोबांना विचारोमां पण प्रस्तुत प्रस्तावना लेख्या बाद, पाछळथी, केटलीक बाबतोमां संशोधन - परिवर्तन थयुं छे, एम तेमना पाछळना लखाएला केटलाक लेखो उपरथी समजाय छे. हवे पछीना अंको मां ' पूर्वना पवित्र पुस्तको' (Sacral Books of the East ) नामनी सुप्रसिद्ध ग्रंथमालामां डॉ. जेकोबी द्वारा अनुवादित जैन- सूत्राना जे बे पुस्तको प्रसिद्ध थयां छे तेमनी प्रस्तावनानो अनुवाद पण क्रमथी आपवानी इच्छा छे. आशा छे के वाचको विचारपूर्वक तेमनो पूरेपूरो लाभ लेशे. - संपादक. ]
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