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ज्ञानप्रदीपिका। रक्ता: मेषधनुःसिंहाः कुलीरोक्षतुलास्सिताः ॥२१॥
कुम्भालिमीनाः श्यामाः स्युः कृष्णयुग्मांगनामृगाः । मेष, धनु और सिंह ये लाल, कर्क, वृष और तुला ये सफेद, कुंभ वृश्चिक और मोन ये श्याम तथा मिथुन कन्या और मकर ये कृष्ण वर्ण के हैं।
शुकः सितः कुजो रक्तः पिङ्गलाङ्गो बृहस्पतिः ॥२२॥ बुधः श्यामः शशी श्वेतः रक्तः सूर्योऽसितः शनिः ।
राहुस्तु कृष्णवर्णः स्यात् वर्णभेदा उदाहृताः ॥२३॥ शुक्र का वर्ण श्वेत, मंगल का लाल, गुरु का पिंगल, बुध का श्याम, चंद्रका श्वेत, सूर्य का लाल, शनि का कृष्ण, राहु का वर्ण काला है।
चतुरस्र च वृत्तं च कुशमध्यंत्रिकोणतः । दीर्घवृत्तं तथाष्टास्र चतुरस्त्रायतं तथा ॥२४॥
दीर्घायेते क्रमादेते सूर्याद्याः क्रमशो मताः । सूर्य आदि नव ग्रहों का स्वरूप क्रमशः इस प्रकार है ---चौकोना, वृत्ताकार, बीच में पतला, त्रिभुज, दीर्घवृत्त ( अंडाकार ) अष्टभुज, नौकोना आयत और लंबा।
पञ्चै कविंशयो दृष्टी नवदिक षोडशाब्धयः ॥२५॥
भास्करादिग्रहाणां च किरणा: परिकीर्तिताः । ५, २१, २, ६. १०, १६ और ४ ये क्रमशः सूर्यादि ग्रहों की किरणें हैं।
वसु रुद्राश्च रुद्राश्च वह्निषटकं चतुर्दशम् ॥२६।। विश्वाशा शतवेदाश्च चतुस्त्रिंशदजादिना । कुलीराजतुलाकुम्भकिरणो वसुसंख्यया ॥२७॥ मिथुनोक्षमृगाणां च किरणा ऋतुसंख्यया। सिंहस्य किरणाः सप्त कन्याकार्मुकयोस्तथा ॥२८॥
चत्वारो वृश्चिकस्योक्ताः सप्तविंशत् झषरय च। ८, ११, ११, ३, ६, १४, १३, १० १००, ४, ४ और ३० ये संख्यायें क्रमशः मेषादि राशियों की किरणों की द्योतक हैं। किसी के मत में कर्क, मेष तुला और कुंभ इनकी
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