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भाखत्याम् । अथ ग्रहस्पष्टाधिकारः।
मध्यमभीम विधिःभौमः स्वरनायुगणात् कृताप्तम्
पुनर्युवृन्दात् त्रिशताप्त हीनम् । सं॰टी.-स्वरमात सप्तगुणाद् धुगणाद् दिनगणात् कृताप्तं चतुर्भिर्भाजितं, पुनधुवृन्दादहर्गणात् त्रिशताप्त हीनम् (शास्त्रशरदागत ध्रुवके युत) मध्यम भौमो भवति॥
भा० टी०-दिनगण को ७ से गुणा करके उस में ४ का भागदेने से जो फलमिलै उसफल में, दिनगण में ३०० के भागदेने से जो फल मिलै उसको घटावै फिर उसको मङ्गलके ध्रुवा में युक्त करने से उस दिन सूर्योदय काल में मध्यम भौम होता है।
उदाहरण-दिनगण २७ को 9 से गुणा तो १८९ हुए इसमें ४ का भाग दिया तो फल ४७ । १५ । ० मिले फिर दिन गण २७ में ३०० का भाग दिया तो लब्ध ० ।५२४ मिले इस को ४७ । १५ । ० में घटाया तो ४७ । ९ । ३६ हुए फिर इस को मङ्गत के ध्रुवा ९०२ । २ । १३ में युक्त किया तो उस दिन सूर्यो. दय में मध्यम भौम ९४९ । ११ । ४९ हुआ ॥
भौम दिनगण सारणीयम् । एकाद्यङ्कानि ( एकाई)।
| दिनगण
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१५ अंश
कला
विकला
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