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भास्वत्याम् ।
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नक्षत्र क्षेपकासाः। रो. मृ. आ पुः
पु.
नक्ष
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चि स्वा. वि. अ. ज्ये.
श्र.
ध. | श.
पू. उ. ! रे. नक्षत्र --------
भाषावार्तिक-सारणी से संक्रान्ति और नक्षत्र स्पष्ट करने की यह विधि है कि शकांक और शेषाङ्क को युक्त करके उस में अपने देश के देशान्तर को धन ऋण करने से वर्ष भर की संक्रान्ति या नक्षत्र साधने का ध्रुवा होता है, फिर जिस २ राशि का क्षेपक उस में युक्त किया जायगा उस २ राशि की संक्रान्ति होगी या जिस २ नक्षत्र का क्षेपक युक्त किया जायगा वह २ नक्षत्र होगा (संक्रान्ति नक्षत्र का क्षेपक मकरन्दसारणी से लिखा गया है)
Aho ! Shrutgyanam