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भास्वत्याम् ।
गत सावन मासेषु ( यस्यां तिथौ मेषसंक्रान्तिर्भवति तदारभ्याग्रिममासस्य सैवतिथिर्यावदयं मेष इत्यनेन क्रमेण सावन मासा भवन्ति ) खरामगुणेषु त्रिंशद् गुणेषु प्राप्त मासस्य गत तिथयः योज्याः तेषु ऋतुवासरोनाः कार्या एवं कृते पूर्वानित दिनगण तुल्यो धुवृन्दो भवति तन्नगभक्तशेषम् - अब्द मुखादि नाथाद् वारा भवन्तीति (शून्यादि शेषे वर्षेशादयो ज्ञातव्याः) ॥१॥२॥ "अहर्गणेऽस्मिन्नगभक्तशेषे
समाधिपा वारमुसन्ति यातम् ।
अभिष्टवारार्थमहर्गणोऽयं
कुहीनयुक् स्यादिति सम्प्रदायः " ||१|| "ब्धीन्द्रोनितशक ईशहत् फलं स्या
* उदाहरण - शाका १८३३ में १४४२ को घटायातो वर्ष समूह ३९९ हुआ, इसमें ११ का भाग दिया तो फल चक्र ३९ मिला, और शेष ६ बचे इसको १२ से गुणा किया तो १२ हुए इसमें चैत्र से १ मास गत है इसको युत किया तो १३ हुए (यह मध्यमासगण हुआ) इसको दो जगह रक्खे एक जगह इस में द्विगुणित चक्र ७० को जोड़ा तो १४३ हुए फिर इस में १० और युक्त किया तो १५३ हुए फिर इसमें ३३ का भाग दिया तो फल अधिमास ४ मिले, इसको दूसरी जगह घरे हुए ७३ में युक्त किया तो मास गण ७७ हुआ, इसको ३० से गुणा किया तो २३१० हुए इसमें गत तिथि १२ युत किया तो २३२२ हुए इस में चक्र का छठवां भाग ५ युक्त किया तो २३२७ ( मध्यमगण हुआ ) इसको दो जगह धरा एक नगह इसमें
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