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भास्वत्याम्
भा०टी०-शास्त्राब्द या गतकलि में ७ का भाग देने से क्रमशः शुक्र चन्द्र गुरु-सूर्य बुध शनि मङ्गल सौर वर्षाधिपति होते हैं (शून्यशेष में शुक्र एक शेष में चन्द्र इत्यादि ) ॥१॥
उदाहरण-शास्त्र ब्द ८१२ में ७ का भाग दिया तो शेष शून्य बचा । और गतकलि ५०१२ में ७ का भाग दिया तो भी शेष शून्य बचा यह दोनों प्रकार से गतवर्षाधिपति शुक्र और वर्तमान वर्षाधिपति चन्द्रमा हुआ ॥१॥
___ मासाधिपविधिःअब्दोऽर्क निनोरविमासयुक्तः सप्तावशेषे रविमासनाथाः । ज्ञ शुक्रसू-रसुरेज्यसौरि
चन्द्रा युगात्सावन मासतोन्ये ॥२॥
सं० टी०---अब्दपिण्डोऽर्कनिघ्नो द्वादशभिर्गुणितः, गतरविमासयुक्तः सप्तावशेषे सति बुध-शुक्र-सू-- द्यकान्तरेण रविमास नाथाः सौरमासाधिपा भवन्तितद्यथा शून्यावशिष्टेबुध एकेनशुक्रो द्वाभ्यांरविस्त्रिभिभॊमश्चतुर्भिर्गुरुः पञ्चभिःशनिः षड्भिश्चन्द्रइत्येकान्तरक्रमेण रविमासनाथाभवन्ति, अन्येयुगात्सावनमासनाथा भवन्तीति कथयन्ति । अत्रापि करणारम्भे मासाधिपोबुधोऽभूत्तस्माद्बुधादितोगणनेति ॥२॥
भा०टी० शास्त्राब्द को १२ से गुणा करके गत सौरमास युक्त करि उस में ७ का भाग देने से शेष क्रमशः बुध-शुक्र.
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