________________
भास्वत्यम् ।
शताधङ्कानि ( सैकड़ा)।
२०० ०० दिनगण
१००
| अंश
कला । विकला
मध्यमशनिविधि:शनिघुटन्दान्नव भाग लब्धम्
ध्रुवान्वितं रव्युदयस्य मध्याः। सं० टी०-धुवृन्दाद् दिन समूहान्नव भाग लब्धं प्रवान्वितं शनिर्भवति, रव्युदयस्य सूर्योदयस्य मध्या भौभादिग्रहा भवन्त्येवम् ।।
भा० टी०-दिन गण में ९ का भाग देने से जो लब्ध मिले उसको शनि के ध्रुवा में युक्त करने से सूर्योदय का मध्यमशनि होता है । इस प्रकार से सूर्योदय के समय मङ्गल आदि ग्रह का मध्यम स्पष्ट होता है।
उदाहरण-दिनगण २७ में ९ का भाग देने से लब्ध ३ ।। । • मिले इसको शनि के ध्रुवा ५४।०१० में युत करने से मध्यम शनि ५७। ० । • हुआ । शनि दिनगण सारणीयम् । एकाधानि ( एकाई)।
९ दिनगण
-
-
-
अंश | कला | विकला
Aho ! Shrutgyanam