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ग्रहस्पष्टाधिकारः ।
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भा० टी० - दिनगण को ४ से गुणाकर दो जगह रक्खै, एक जगह ३ का भाग देने से जो लब्ध मिलै उसको दूसरे जगह जोड़े, फिर दिन गण में १४० का भाग देने से जो फल मिलै, उसको पूर्व अङ्क में युक्त करि शुक्र के ध्रुवा में युक्त करने से शुक्र का शीघ्र होता है ॥ २ ॥
उदाहरण -- दिनगण २७ को ४ से गुणा तो १०८ हुए इस को दो जगह धरि के एक जगह ३ का भाग दिया तो लब्ध ३६ ॥ ० 10 मिले, इस को दूसरी जगह युत किया तो १४४ । ० । ० हुए, फिर दिन गण २७ में १४० का भाग दिया तो फल ० । ११ । ३४ मिले इसको १४४ । ० । ० में युत किया तो १४४ । ११ । ३४ हुए, इसको शुक्र के शीघ्रध्रुव २६३ । २० । ५२ में युत किया तो शुक्र का मध्यम शीघ्र स्पष्ट ४०७ । ३२ । २६ हुआ ||२|| शुक्र दिन गणसारणीयम् एकाद्यङ्कानि ( एकाई )
१ २ ३
5
२०
Mo
१०
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२६ ५१ १७
२०
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30
५३
२४ ४८ १२
१७
३४ ५१
४
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१० १६ | २१ | २६
४०
२१ ४२
४३ ९ ३४ O
दशाद्यङ्कानि ( दहाई ) 1
३० ४० ५० ६० ७० ८०
१०६ | १६० | २१३ | २६७ | ३२० | ३७३ ४२७ ४८० अंश
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५ ६
の
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८
३२ ३७ ४२ ४८ अंश
२३
दिन
गण
Aho! Shrutgyanam
४३ ३ कला
२६
५१ विक०
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दिन
गण
३७ १ २५ ४९. १४ ३८ कला
८
२५
દરે
५९
१६ ३३ विक