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अध्याय - २
ज्ञानाज्ञानदर्शनलब्धयश्चतुस्त्रित्रिपञ्चभेदाः सम्यक्त्वचारित्रसंयमासंयमाश्च ॥५॥
[ ज्ञान अज्ञान ] मति, श्रुत, अवधि और मनःपर्यय यह चार ज्ञान तथा कुमति, कुश्रुत और कुअवधि ये तीन अज्ञान, [ दर्शन ] चक्षु, अचक्षु और अवधि ये तीन दर्शन, [लब्धयः] क्षायोपशमिक दान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य ये पाँच लब्धियाँ [ चतुः त्रि त्रि पञ्च भेदाः ] इस प्रकार 4+3+3+5=15 भेद तथा [ सम्यक्त्व] क्षायोपशमिक सम्यक्त्व [चारित्र ] क्षायोपशमिक चारित्र [ च] और [ संयमासयमाः] संयमासंयम - इस प्रकार क्षायोपशमिकभाव के 18 भेद हैं।
(The eighteen kinds are) knowledge, wrong knowledge, perception, and attainment, of four, three, three, and five kinds, and right faith, conduct, and mixed disposition of restraint and non-restraint.
गतिकषायलिंगमिथ्यादर्शनाज्ञानासंयतासिद्ध लेश्याश्चतुश्चतुस्त्र्येकैकैकैकषड्भेदाः ॥६॥
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