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अध्याय - २
(These are of) two, nine, eighteen, twenty-one, and three kinds respectively.
सम्यक्त्वचारित्रे ॥३॥
[सम्यक्त्व] औपशमिक सम्यक्त्व और [ चारित्रे ] औपशमिक चारित्र - इस प्रकार औपशमिकभाव के दो भेद
(The two kinds are) right belief and conduct.
ज्ञानदर्शनदानलाभभोगोपभोगवीर्याणि च ॥४॥
[ज्ञान दर्शन दान लाभ भोग उपभोग वीर्याणि] केवलज्ञान, केवलदर्शन, क्षायिकदान, क्षायिकलाभ, क्षायिकभोग, क्षायिकउपभोग, क्षायिकवीर्य तथा [च ] च कहने पर, क्षायिकसम्यक्त्व और क्षायिकचारित्र - इस प्रकार क्षायिकभाव के नौ भेद हैं।
(The nine kinds are) knowledge, perception, gift, gain, enjoyment, re-enjoyment, energy, etc.
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