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अध्याय - ९
The painful (sorrowful), the cruel, the virtuous (righteous), and the pure.
परे मोक्षहेतू ॥२९॥ [ परे ] जो चार प्रकार के ध्यान कहे उनमें से अन्त के दो अर्थात् धर्मध्यान और शुक्लध्यान [ मोक्षहेतू ] मोक्ष के कारण
The last two are the causes of liberation.
आर्तममनोज्ञस्य सम्प्रयोगे तद्विप्रयोगाय स्मृतिसमन्वाहारः
॥३०॥
[अमनोज्ञस्य सम्प्रयोगे] अनिष्ट पदार्थ का संयोग होने पर [तद्विप्रयोगाय] उसके दूर करने के लिये [ स्मृतिसमन्वाहारः] बारम्बार विचार करना सो [ आर्तम् ] 'अनिष्ट संयोगज' नाम का आर्तध्यान है।
On the contact of disagreeable objects, thinking again and again for their removal is the first kind of sorrowful concentration.
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