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अध्याय - ९
बाह्याभ्यन्तरोपध्योः ॥२६॥
[ बाह्याभ्यन्तरोपध्योः ] बाह्य उपधिव्युत्सर्ग और अभ्यंतर उपधिव्युत्सर्ग - ये दो व्युत्सर्ग तप के भेद हैं।
Giving up external and internal attachments.
उत्तमसंहननस्यैकाग्रचिन्तानिरोधो ध्यानमान्तर्मुहूर्तात्
॥२७॥
[ उत्तमसंहननस्य ] उत्तम संहनन वाले के [आ अन्तर्मुहूर्तात् ] अन्तर्मुहूर्त तक [ एकाग्रचिन्तानिरोधो ध्यानम् ] एकाग्रतापूर्वक चिन्ता का निरोध सो ध्यान है।
Concentration of thought on one particular object is meditation. In the case of a person with the best physical structure or constitution it extends up to one muhurta.
आर्तरौद्रधर्म्यशुक्लानि ॥२८॥
[आतरौद्रधर्म्यशुक्लानि] आर्त, रौद्र, धर्म और शुक्ल - ये ध्यान के चार भेद हैं।
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