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________________ ॥ अनुभवप्रकाश ॥ पान ९०॥ द्रव्य गुणपर्यायकौं व्यापै, गुण द्रव्यपर्यायकों व्यापै, पर्याय गुणद्रव्यकौं व्यापै, है है तीनौं अवस्था पदार्थकी है। पदार्थ सत्वअवस्थाकरि अस्ति है, परचतुष्टय अवस्थालें । हैं नास्ति है, गुणअवस्था अनेक है, वस्तुअवस्थातें एक है, गुणादिभेदकरि भेदरूप है, है है अभेदवस्तुस्वरूपकरि अभेद है, द्रव्यकरि निय है, पर्यायकरि अनित्य है, शुद्धनि- है १ श्चयतें शुद्ध है, सामान्यविशेषरूप वस्तुरूप है, वस्तुत्व है, द्रव्यके भावकौं धरै द्रव्यत्व है है है, प्रमेयके भावकों धारै प्रमेयरूप है, अगुरुलघुके भावकों धरै अगुरुलघु अवस्था है, है है प्रदेशकौं धरै प्रदेशरूप है, अन्यत्वगुणलक्षणभेद अन्यकरि अन्यत्व है, स्वपरकरि अन्य है है है, नानापदार्थतें अन्य है, द्रव्यत्व है, पर्यायत्व है, सर्वगत अप्रदेशत्व है, मूर्त है, है है अमूर्त है, सक्रिय अक्रिय चेतन अचेतन कर्तृत्व अकर्तृत्व भोक्तृत्व अभोक्तृत्व नाम है है उपलक्षण क्षेत्र स्थिति संथान सरूप फल द्रव्य क्षेत्र काल भाव संज्ञा संख्या लक्षण प्रयोजन ह १ तत्स्वभाव अतत्स्वभाव सप्तभंगरूप अन्योन्यगुणकरि सिद्धिगतहेतुत्व स्थितिहेतुत्व है
SR No.009865
Book TitleAnubhav Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhmichand Venichand
PublisherLakhmichand Venichand
Publication Year
Total Pages122
LanguageMarathi
ClassificationBook_Other, Spiritual, Religion, & Sermon
File Size5 MB
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