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नास्तिक एक नास्तिक हमेशा किसी-न-किसी बातपर ईश्वरको कोसा करता। एक बार उसके खेतमें आलूकी फ़सल बहुत अच्छी हुई। लोगोंने सोचा इस बार उसे खुदाके खिलाफ़ शिकायतकी कोई वजह न मिल सकेगी। लेकिन अपने किसी दोस्तके सवालके जवाबमें नास्तिकने कहा-'यह परमात्मा भी कितना निर्दयी है ! हाय ! मेरी समझमें नहीं आ रहा है कि इस बार अपने सूअरोंको खिलाने के लिए सड़े आलू कहांसे लाऊँगा !'
तीसरा विश्वयुद्ध मान लेता हूँ कि तीसरा विश्वयुद्ध होगा, मगर मैं यह नहीं बता सकता कि उसमें किन हथियारोंका उपयोग किया जायगा। हाँ, चौथे विश्वयुद्ध के बारेमें निश्चय-पूर्वक यह कह सकता हूँ कि वह 'पत्थरकी गदा' से लड़ा जायेगा।
-अलबर्ट आइंस्टीन
कौन जीता ? कौशल देशके राजा बड़े दानेश्वरी थे। उनकी दान-शीलताका यश दूर-दूर तक फैला हुआ था । दुखी लोग उन्हें अपना मां-बाप समझकर दौड़े आते।
कौशलराजकी यह कीर्ति महाराजा काशीराजको सहन न हुई । उन्होंने कौशलपर चढ़ाई कर दी। कौशलराज हारकर जंगलमें भाग गये।
लोगोंमें हाहाकार मच गया । सब कहने लगे, 'राहु चन्द्रको निगल गया । लक्ष्मीने भी बलवान्को पसन्द किया, धर्मात्माकी तरफ़ न देखा। हमारा शिर-छत्र चला गया।'
सन्त-विनोद