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एकान्त और एकाग्रता माइकेल एंजेलोसे एक मित्रने पूछा-'तुम ऐसा एकान्त जीवन क्यों गुज़ारते हो ?' उस कला-विधायकने जवाब दिया कि, 'कला और असा. धारणता ईर्ष्यालु प्रिया है । वह मनुष्यका अनन्य प्रेम चाहती है।'
डिज़राइलीके कथनानुसार जब वह सिस्टाइन मन्दिरपर काम करता था तब उसने घरके भी किसी आदमीसे न मिलनेका नियम रखा था !
लात
सुकरात बड़े सत्यभक्त और स्पष्टवक्ता थे। सत्य अप्रिय होता है। और अप्रिय सत्यके कहनेवाले और सुननेवाले दुर्लभ होते हैं। एक बार सुकरातको साफ़गोई पर किसीने उन्हें पीट दिया। मगर सुकरातकी पेशानी पर शिकन तक न आई। एक मित्र चकित होकर बोला-'आप मार खाकर भी चुप रह गये !'
सुकरात-'अगर मुझे गधा लात मारे तो क्या मैं भी उसके लात मारूँ ?'
भजनका अधिकार एक युवक विरक्त होकर एक सन्तके पास पहुँचा। भगवद्भजनकी प्रबल इच्छा थी।
सन्तने कहा–'तुम स्नान करके शुद्ध होकर आओ।'
यवक स्नान करने गया, और सन्तने आश्रमके पास झाड़ देती हई भगिनको बुलाया। वे बोले-'यह युवक जब स्नान करके लौटे तब तुम इस तरह झाड़ लगाना कि उसपर धूल उड़कर आये। लेकिन ज़रा सावधान रहना वह मारने दौड़ सकता है।' सन्त-विनोद