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पादरीने कहा-'अरे,.यह लड़का तो तेरे लिए बहुत भारी है !'
लड़कीने जवाब दिया-'बिलकुल भारी नहीं है, यह तो मेरा भाई है।'
जहाँ प्रेम होता है, वहाँ भारी-से-भारी चीज़ भी फूलसे भी हलको बन जाती है।
जंगखोर प्रोफ़ेसर मौलिनोस्की अफ़रीक़ाके एक नरभक्षीसे मिले ।
आदमखोर बोला कि, 'पिछले महायुद्धकी एक बात मैं अभी तक नहीं समझ पाया। तुम लोगोंने इतने आदमी मार डाले, पर उन सबको खा कैसे गये होगे ?'
प्रीफ़ेसर-'उन्हें खानेके लिए थोड़े ही मारा था !' आदमखोर अत्यन्त घृणा भावसे बोला-'जंगखोर भी आदमखोरसे किस क़दर वदतर होता है कि बिला वजह आदमियोंको मारता है !'
आनन्दका रहस्य विदर्भ देशका एक राजा बड़ा उदास और दुखी रहता था। उसे प्रसन्नचित्त बनानेके बड़े-बड़े उपाय किये गये मगर सब व्यर्थ । आखिरकार एक दार्शनिकने उसे आश्वासन दिया कि अगर वह किसी सचमुच सुखी आदमीका पहरन मंगा ले तो पूर्ण आनन्द प्राप्ति हो सकती है।
राजाके लोग सब दिशाओंमें भेजे गये-बड़ी तलाशके बाद उन्हे किसी जंगलमें भेड़ चराता हुआ एक गड़रिया मिला जो वास्तवमै आनन्दस्वरूप था । राजाको यह जानकर बड़ी खुशी हुई। लेकिन जब दरबारमै लाकर उससे उसका पहरन मांगा गया तो वह बोला, 'मैं तो कभी कोई पहरन रखता ही नहीं !'
सन्त-विनोद