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'ऐसा क्यों करते हैं ?' 'शान्तिको पा जाने के लिए।
मूर्ख बोला-'मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि इन सब लोगोंको शान्तिमें से युद्धमें क्यों जाना पड़ता है ? ये लोग अपनी पहली वाली शान्तिमे ही क्यों नहीं रहते ?'
साधुओंकी उदारता एक दिन रामदास स्वामी अपने शिष्योंके साथ एक गन्ने के खेतके सामनेसे गुज़र रहे थे। उनमेंसे एक शिष्यने गन्ना तोड़कर खाया। इस तरह बिना पूछे गन्ना खाता देखकर यकायक कहींसे खेतका मालिक आ चमका और उसने स्वामी रामदासको सबका सरदार समझकर खूब पीटा।
शिवाजीको जब इस बातकी खबर पड़ी तो उसने खेतके मालिकको बलवाया। उसने आकर देखा कि रामदास स्वामी सिंहासनपर बैठे हैं और शिवाजी नीचे । यह देखकर वह थरथर काँपने लगा।
शिवाजीने कहा'स्वामीजी, आप जो कहें सो सज़ा इसे दूं।' 'जो कहूँगा सो करोगे ?' 'स्वामीजी, क्या मैं आपकी आज्ञाका पालन न करूँगा ?'
'यह ग़रीब है, गन्ना कम हो जानेसे आघात लगना स्वाभाविक है। इसका दारिद्रय दूर करनेके लिए इसे कोई जागीर दे दो।'
प्यार एक पादरी एक पहाड़ीपर चढ़ रहा था। उसी समय एक छह-सात वर्षकी लड़की भी अपने दो वर्षके भाईको गोदी में लिये चढ़ रही थी और हाँपती जाती थी।
सन्त-विनोद
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