________________
भावना एक स्त्री किसी साधुसे प्रार्थना करती हुई बोली-'महाराज, आज कृपा करके हमारे घर पधार कर हमें कृतार्थ कीजिए ।'
साधु उसके यहाँ गया। स्त्रीने उसके लिए एक कटोरीमें दूध डाला, मगर जब दूध डालते वक़्त हंडियाकी सारी मलाई कटोरीमे गिरी तो स्त्रीके मुंहसे बेसाख्ता 'अरे-अरे !' निकल पड़ा। फिर भी उसने उसमें शक्कर मिला कर दूध साधुके आगे सरका दिया।
साधु ज्ञान-उपदेशकी बातें करता रहा, मगर उसने दूध न पिया । स्त्री समझती रही कि शायद दूध अभी बहुत गरम है इसलिए नहीं पी रहे । जब चर्चा खत्म हुई तो साधु यूँ ही चलने लगा।
'महाराज, दूध तो पीजिए !'
'नहीं। तुमने इसमें मलाई और शक्करके अलावा एक और चीज़ भी मिला दी है, इसलिए मैं इस दूधको नहीं पी सकता।'
'और क्या मिला दिया है, महाराज ?'
'अरे-अरे !' जिस दूधमें 'अरे, अरे !' मिला हुआ है, मैं उसे नहीं पी सकता।'
संगति एक कुत्ते और एक बिल्लोमें बड़ी दोस्ती थी। दोनों प्रेमसे साथ रहते । एक रोज़ वे एक साधुमे मिलने आये, और विनोदमें एक दूसरेकी शिकायत करने लगे। ___ कुत्ता बोला-'महाराज, यह बिल्ली बड़ी बदमाश और चालाक है। बड़ी ही बुरी है। यह मर कर अगले जन्ममें क्या बनेगी ?'
बिल्ली बीच ही में बोल उठी- और महाराज, यह कुत्ता महा खराब है, हमेशा भौंकता या गुर्राता रहता है। यह मर कर क्या बनेगा ?'
१२२
सन्त-विनोद