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साधुने शिकायत-भरे लहजेमें पुकारा-'मैं इतने दिनोंसे तपस्या करता रहा हूँ। पर आज विपत्तिके समय कोई देव तक मेरी रक्षाको नहीं आ रहा !'
एक आवाज़ आई-'देव तो रक्षाको आया है, मगर उसे यह नहीं मालूम हो रहा कि साधु कौन है और धोबी कौन ।'
सिद्धि एक साधक था। साधन करनेसे उसे पानीपर चलनेकी सिद्धि प्राप्त हो गई । वह गुरुके पास दौड़ा आया
'महाराज ! मुझे जलपर चलनेकी सिद्धि प्राप्त हो गई !!'
महात्मा बोले-'इसमें क्या हुआ? यह काम तो मल्लाह एक पैसेसे कर देता है । क्या तुमने इतनी तपस्या इस तुच्छ शक्तिको पानेके लिए ही की थी? तप केवल भगवत्-प्राप्तिके लिए होना चाहिए।'
नींद
एक तपस्वी सारी रात भजन करते रहते थे। किसोने पूछा-'आप रातको कुछ देर सो भी क्यों नहीं लेते ?'
महात्मा बोले--'जिसके नीचे नरकाग्नि जल रही हो और ऊपर जिसे दिव्य राज्य बुला रहा हो, उसे नींद कैसे आ सकती है ?'
बलि स्वर्ग-प्राप्तिको लालसासे एक राजा यज्ञ कर रहा था। यज्ञमें बलि देने के लिए एक बकरा लाया गया। वह अपनी होनीका आभास पाकर बेहद मिमिया रहा था। राजाने विनोदसे अपने मन्त्रीसे पूछा--'यह बकरा क्या कह रहा है ?' सन्त-विनोद
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