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एकाएक संत एकनाथजी अपने कलशका जल गधेको पिलाने लगे। किसीने कहा-'यह क्या ! रामेश्वरके अभिपेकके लिए लाया जल आप गधेको ....... !'
एकनाथ बोले-'कहाँ है गधा ? श्री रामेश्वर ही तो यहाँ मुझसे जल मांग रहे हैं । मैं उनका ही अभिपेक कर रहा है।'
अमर जीवन एक धनी युवकने ईसामसीहसे विनती की, 'हे देव ! मुझे ईश्वरीय जीवन प्राप्त करनेका उपाय बताइए। दुनियाकी चीजोंसे मुझे शान्ति नही मिलती।'
ईसा बोले-'वत्स ! तुमने मुझे 'देव' शब्दसे सम्बोधित किया ! देव तो केवल परमात्मा ही है। मैं तो उसके कृपाराज्यका एक मामली सेवक हूँ-तुम अमर जीवन प्राप्त करना चाहते हो तो जाओ अपनी सब चीजें बेच दो और अपनी सारी सम्पत्ति ग़रीबोंको बाँट दो। यह तो मुमकिन है कि ऊँट सुईके नकुएमें-से निकल जाय, पर यह गैरमुमकिन है कि धनी आदमी ईश्वरके राज्यमें दाखिल हो जाय ।'
एक शिकारीने चिड़ियोंको फंसानेके लिए अपना जाल बिछाया। उसके जालमें दो पक्षी फँसे; लेकिन उन्होंने फ़ौरन् सलाह कर ली और जालको लेकर उड़ने लगे। शिकारी दीवानावार उनके पीछे दौड़ने लगा।
पास ही एक ऋषि बैठे हुए यह तमाशा देख रहे थे। उन्होंने शिकारीको बुलाकर कहा–'तुम फ़िजूल क्यों दौड़ रहे हो ? पक्षी तो जाल लेकर आसमानमें उड़े जा रहे हैं !'
सन्त-विनोद
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