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अध्याय - 7
नहीं होता, उसी प्रकार ज्ञानी पुरुष भी द्रव्यों के उपभोग में विरक्त रहता हुआ (वैराग्य की सामर्थ्य से ) कर्मों से नहीं बँधता ।
Just as a person consuming alcoholic drink can still remain sober due to his strong sense of non-indulgence, similarly, the knowledgeable person, remaining detached from the enjoyment of alien substances, does not attract bondages.
ज्ञानी और अज्ञानी में अन्तर
सेवतो वि ण सेवदि असेवमाणो वि सेवगो को वि। पगरणचेट्ठा कस्स वि ण य पायरणो त्ति सो होदि ॥
(7-5-197)
कोई सम्यग्दृष्टि (रागादि भाव के अभाव के कारण ) विषयों का सेवन करता हुआ भी उनका सेवन नहीं करता, ( और अज्ञानी विषयों में रागभाव के कारण) उन्हें सेवन न करता हुआ भी सेवन करने वाला होता है। जैसे- किसी पुरुष की कार्यसम्बन्धी क्रिया होती है, किन्तु वह कार्य करने वाला नहीं होता।
विशेष - जैसे कोई मुनीम सेठ की ओर से व्यापार का सब कार्य करता है, किन्तु उस व्यापार तथा उसकी लाभ-हानि का वह स्वामी नहीं होता। इसी प्रकार सम्यग्दृष्टि भोगों का सेवन करता हुआ भी राग न होने के कारण उसका असेवक है और मिथ्यादृष्टि सेवन न करता हुआ भी राग के सद्भाव के कारण उसका सेवक है।
The right believer (due to the absence of attachment etc.), while getting involved in sensualities, really does not indulge in them, but an ignorant person (due to the presence of attachment etc.),
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