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ज्यौतिषप्रश्नफलगणना
अथ मुष्टिप्रश्न:
ध्वजे पत्रं च विज्ञेयं धूम्र पुष्पं प्रकीर्तितम् । सिंहे फलं च विज्ञेयं श्वाने काष्ठादिकं तथा ॥ २३ ॥ वृषे धान्यं तथा प्रोक्तं खरे तृणं निगद्यते । गजे बीजं च विज्ञेयं तुषं ध्वांक्षे तथा स्मृतम् ॥ २४ ॥
तदनन्तर मुष्टि प्रश्न लिखते है- ध्वज में किसी की पत्ती कहना - धूम्र में पुष्प कहना - सिंह में फल कहना, श्वान में कोई काष्ठ समझना ॥ २३॥
वृष में कोई अन्न कहना, खर में तृण कहना, गज में कोई बीज कहना, ध्वांक्ष में तुष अर्थात् भूसा किसी चीज का कहना ।। २४ ॥
अथ मुष्टिवस्तुवर्ण ज्ञानम्
कुसुम्भं च ध्वजे ज्ञेयं धूम्रे श्वेतं तथैव च । लोहितांगं भवेत् सिंहे श्वाने पांडुरनीलकम् ॥ २५ ॥ पीतवर्णों वृषे ज्ञेयः खरे धूम्रश्च वर्णकः ।
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तदनन्तर मुष्टि में क्या वस्तु है इसे जानने के कुसुंभ जानना, धूम्र में सफेद वस्तु कहना, सिंह में पांडुर नकुल सदृश वा नील वर्ण कहना ।। २५ ।।
लिये लिखते हैं
लाल वस्तु कहना, श्वान में
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- ध्वज में
वृष में पीत वर्णं जानना, खर में धूम्र वर्ण कहना, गज में श्याम वर्ण कहना, saiक्ष में मिश्र वर्ण - मिला हुआ कहना ।। २६ ।।
अथ कन्यापुत्रजन्मप्रश्नः
ध्वजे वृषे गजे
सिंहे गुवणीपुत्रमादिशेत् ।
धूम्र श्वाने खरे ध्वांक्षे कन्याजन्म विनिर्दिशेत् ॥ २७ ॥
तदनन्तर गर्भवती को कन्या वा पुत्र का जन्म होगा इसका विचार - ध्वज में वृष, गज और सिंह में गुर्विणी को पुत्र का जन्म कहना और धूम्र, श्वान, खर, ध्वांक्ष में पुत्री का जन्म कहना ।। २७ ।।
अथ आयु:प्रमाणम्
ध्वजे सिंहे शतं प्रोक्तं गजे व्योमगजस्तथा । वृषे च षष्टिवर्षाणि खरे ध्योमाब्धिसंज्ञकम् ॥ २८ ॥
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