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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
ही चाहिये । इस प्रकार का जो उपदेश है वही (ज्ञान) नय कहलाता है । इन सभी नयों की परस्पर विरुद्ध वक्तव्यता को सुनकर समस्त नयों से विशुद्ध सम्यक्त्व, चास्त्रि गुण में स्थित होने वाला साधु (मोक्षसाधक हो सकता) है । इस प्रकार नय-अधिकार की प्ररूपणा जानना ।
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___ अनुयोग द्वार-चूलिकासूत्र-२-का मुनिदीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
भाग-१२-का हिन्दी अनुवाद पूर्ण
-x -xआगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद पूर्ण