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________________ २२२ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद श्रेणियों की विष्कम्भ, सूची अंगुल के प्रथम वर्गमूल को दूसरे वर्गमूल से गुणित करने पर निष्पन्न राशि जितनी होती है । अथवा अंगुल के द्वितीय वर्गमूल के घनप्रमाण श्रेणियों जितनी है । मुक्त वैक्रियशरीर सामान्य से मुक्त औदारिकशरीरों के बराबर जानना । नारक जीवों के आहारकशरीर दो प्रकार के हैं-बद्ध और मुक्त । बद्ध आहारकशरीर तो उनके नहीं होते हैं तथा मुक्त जितने सामान्य औदारिकशरीर समान जानना । तैजस और कार्मण शरीरों के लिये वैक्रियशरीरों के समान समझना । असुरकुमारों के कितने औदारिकशरीर हैं ? गौतम ! नारकों औदारिकशरीरों के समान जानना । असुरकुमारों के वैक्रियशरीर दो प्रकार के हैं-बद्ध और मुक्त । बद्ध असंख्यात हैं । जो कालतः असंख्यात उत्सर्पिणियों और अवसर्पिणियों में अपहृत होते हैं । क्षेत्र की अपेक्षा वे असंख्यात श्रेणियों जितने हैं और वे श्रेणियां प्रतर के असंख्यातवें भाग प्रमाण हैं । उन श्रेणियों की विष्कम्भसूची अंगुल के प्रथम वर्गमूल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है तथा मुक्त वैक्रियशरीरों के लिये सामान्य से मुक्त औदारिकशरीरों के समान कहना । असुरकुमारों के आहारकशरीर दो प्रकार के हैं-बद्ध और मुक्त । ये दोनों प्रकार के आहारकशरीर इन असुरकुमार देवों में औदारिकशरीर के जैसे जानना । तथा-तैजस और कार्मण शरीर जैसे इनके वैक्रियशरीर के समान जानना । असुरकुमारों में शरीरों के समान स्तनितकुमार पर्यन्त देवों में जानना । पृथ्वीकायिकों के कितने औदारिकशरीर हैं ? दो प्रकार के हैं-बद्ध और मुक्त । इनके दोनों शरीरों की संख्या सामान्य बद्ध और मुक्त औदारिकशरीरों जितनी जानना । पृथ्वीकायिकों के वैक्रियशरीर दो प्रकार के हैं-बद्ध और मुक्त । इनमें से बद्ध तो इनके नहीं होते है और मुक्त के लिए औदारिकशरीरों के समान जानना । आहारकशरीरों को भी इसी प्रकार जानना । इनके तैजसकार्मण शरीरों की प्ररूपणा औदारिकशरीरों के समान समझना । पृथ्वीकायिकों के शरीरों के समान अपकायिक और तेजस्कायिक जीवों के शरीरों को जानना । वायुकायिक जीवों के औदारिकशरीर कितने हैं ? गौतम ! पृथ्वीकायिक जीवों के समान जानना । वायुकायिक जीवों के वैक्रियशरीर दो प्रकार के हैं-बद्ध और मुक्त । उनमें से बद्ध असंख्यात हैं । यदि समय-समय में एक-एक शरीर का अपहरण किया जाये तो (क्षेत्र) पल्योपम के असंख्यातवें भाग में जितने प्रदेश हैं, उतने काल में पूर्णतः अपहृत हों। किन्तु उनका किसी ने कभी अपहरण किया नहीं है और मुक्त औधित औदारिक के बराबर हैं और आहारकशरीर पृथ्वीकायिकों के वैक्रियशरीर के समान कहना । तैजस, कार्मण, शरीरों की प्ररूपणा पृथ्वीकायिक जीवों के तैजस और कार्मण शरीरों जैसे समझना । वनस्पतिकायिक जीवों के औदारिक, वैक्रिय और आहारक शरीरों को पृथ्वीकायिक जीवों के औदारिकादि शरीरों के समान समझना । वनस्पतिकायिक जीवों के तैजस-कार्मण शरीर औधिक तैजस-कार्मण शरीरों के बराबर जानना । द्वीन्द्रियों के औदारिकशरीर कितने ? गौतम ! वे दो प्रकार के हैं । बद्ध और मुक्त । बद्धऔदारिकशरीर असंख्यात हैं । कालतः असंख्यात उत्सर्पिणियों और अवसर्पिणियों से अपहृत होते हैं । अर्थात् असंख्यात उत्सर्पिणियों-अवसर्पिणियों के समय जितने हैं । क्षेत्रतः प्रतर के असंख्यातवें भाग में वर्तमान असंख्यात श्रेणियों के प्रदेशों की राशिप्रमाण हैं । उन श्रेणियों की विष्कंभसूची असंख्यात कोटाकोटि योजनप्रमाण है । इतने प्रमाणवाली विष्कम्भसूची
SR No.009790
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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