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________________ अनुयोगद्वार-२८९ २१५ असुरकुमार देवों की कितने काल की स्थिति है ? गौतम ! जघन्य १०००० वर्ष और उत्कृष्ट कुछ अधिक एक सागरोपम प्रमाण है । असुरकुमार देवियों की स्थिति जघन्य १०००० वर्ष और उत्कृष्ट साढे चार पल्योपम की है । नागकुमार देवों की स्थिति जघन्य १०००० वर्ष और उत्कृष्ट देशोन दो पल्योपम है । नागकुमारदेवियों की स्थिति जघन्य १०००० वर्ष और उत्कृष्ट देशोन एक पल्योपम की है एवं जितनी नागकुमार देव, देवियों की स्थिति है, उतनी ही शेष देवों और देवियों की स्थिति जानना । पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट २२००० वर्ष है । सामान्य सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीवों की तथा सूक्ष्म पृथ्वीकायिक अपर्याप्त और पर्याप्तों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है । बादर पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट २२००० वर्ष अपर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहर्त की होती है तथा पर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त न्यून २२००० वर्ष है । अप्कायिक जीवों की औधिक जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट ७००० वर्ष की है । सामान्य रूप में सूक्ष्म अप्कायिक तथा अपर्याप्त और पर्याप्त अप्कायिक जीवों की जघन्य एवं उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है । बादर अप्कायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति सामान्य अप्कायिक जीयों के तुल्य अपर्याप्त बादर अप्कायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है । पर्याप्तक वादर अप्कायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त न्यून ७००० वर्ष की है । तेजस्कायिक जीवों की कितनी स्थिति है ? जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट तीन रात-दिन है । औधिक सूक्ष्म तेजस्कायिक और पर्याप्त, अपर्याप्त सूक्ष्म तेजस्कायिक की जघन्य स्थिति भी अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट स्थिति भी अन्तर्मुहूर्त की है । बादर तेजस्कायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहर्त की और उत्कृष्ट तीन रात्रि-दिन की होती है । अपर्याप्त वादर तेजस्कायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त है । पर्याप्त बादर तेजस्कायिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त न्यून तीन रात्रि-दिन है । वायुकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट ३००० वर्ष की है । किन्तु सामान्य रूप में सूक्ष्म वायुकायिक जीवों की तथा उसके अपर्याप्त और पर्याप्त भेदों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त प्रमाण होती है । बादर वायुकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट ३००० वर्ष है । अपर्याप्तक बादर वायुकायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति का प्रमाण अन्तर्मुहूर्त है । और पर्याप्तक बादर वायुकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त न्यून ३००० वर्ष है । वनस्पतिकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट १०००० वर्ष की है । सामान्य सूक्ष्म वनस्पतिकायिक तथा उनके अपर्याप्तक और पर्याप्तक भेदों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहर्त की है । बादर वनस्पतिकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहर्त की और उत्कृष्ट १०००० वर्ष है यावत् गौतम ! अपर्याप्तकों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहर्त की होती है । किन्तु पर्याप्तक बादर वनस्पतिकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहर्त न्यून १०००० वर्ष की जानना । द्वीन्द्रिय जीवों की स्थिति कितने काल की है ? जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट
SR No.009790
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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