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________________ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद उसका स्वरूप इस प्रकार है- आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी है, अवक्तव्यक है । अथवा आनुपूर्वी और अनानुपूर्वी है, आनुपूर्वी और अवक्तव्यक है, अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक है । अथवा आनुपूर्वी - अनानुपूर्वी - अवक्तव्यक है । इस प्रकार ये सात भंग होते हैं । इस संग्रहनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता का क्या प्रयोजन है ? इस के द्वारा भंगोपदर्शन किया जाता है । १८२ [१०४] संग्रहनयसम्मत भंगोपदर्शनता क्या है ? उसका स्वरूप इस प्रकार हैत्रिप्रादेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी शब्द के वाच्यार्थ रूप में, परमाणुपुद्गल अनानुपूर्वी शब्द के वाच्यार्थ रूप में और द्विप्रदेशिक स्कन्ध अवक्तव्यक शब्द के वाच्यार्थ रूप में विवक्षित होते हैं । अथवा - त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और परमाणुपुद्गल आनुपूर्वी अनानुपूर्वी शब्द के वाच्यार्थ रूप में, त्रिप्रदेशिक और द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी - अवक्तव्यक शब्द के वाच्यार्थ रूप में तथा परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिक स्कन्ध, अनानुपूर्वी - अवक्तव्यक शब्द के वाच्यार्थ रूप में विवक्षित होते हैं । अथवा - त्रिप्रदेशिक स्कन्ध- परमाणुपुद्गल - द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी - अनानुपूर्वी - अवक्तव्यक शब्द के वाच्यार्थ रूप में विवक्षित होते हैं । [१०५] भगवन् ! समवतार क्या है ? क्या संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य आनुपूर्वीद्रव्यों में समाविष्ट होते हैं ? अथवा अनानुपूर्वीद्रव्यों में समाविष्ट होते हैं ? या अवक्तव्यकद्रव्यों में समाविष्ट होते हैं ? संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य, आनुपूर्वीद्रव्यों में ही समवतरित होते हैं । इसी प्रकार अनानुपूर्वीद्रव्य और अवक्तव्यकद्रव्य भी स्वस्थान में ही समवतरित होते हैं । [१०६-१०७] संग्रहनयसम्मत अनुगम क्या है ? वह आठ प्रकार का है । सत्पदप्ररूपणा, द्रव्यप्रमाण, क्षेत्र, स्पर्शना, काल, अन्तर, भाग और भाव | इसमें अल्पबहुत्व नहीं होता है । [१०८] संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य हैं अथवा नहीं हैं ? नियमतः हैं । इसी प्रकार दोनों द्रव्यों के लिये भी समझना । संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य संख्यात हैं, असंख्यात हैं। या अनन्त हैं ? वह नियमतः एक राशि रूप हैं । इसी प्रकार दोनों द्रव्यों के लिये भी जानना । संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य लोक के कितने भाग में हैं ? क्या संख्यात भाग में हैं ? असंख्यात भाग में हैं ? संख्यात भागों में ? असंख्यात भागों में हैं ? अथवा सर्वलोक में हैं ? वह नियमतः सर्वलोक में हैं । इसी प्रकार का कथन दोनों द्रव्यों के लिए भी समझना । संग्रहनयसंमत आनुपूर्वीद्रव्य क्या लोक के संख्यात भाग का, असंख्यात भाग का, संख्यात भागों या असंख्यात भागो या सर्वलोक का स्पर्श करते हैं ? आनुपूर्वीद्रव्य नियम से सर्वलोक का स्पर्श करते हैं । इसी प्रकार का कथन दोनों द्रव्यों के लिए भी समझना । संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य काल की अपेक्षा कितने काल तक रहते हैं ? वह सर्वकाल रहते हैं । इसी प्रकार का कथन शेष दोनों द्रव्यों के लिये भी समझना । संग्रहनयसंमत आनुपूर्वीद्रव्यों का कालापेक्षया कितना विरहकाल होता है । कालापेक्षया आनुपूर्वीद्रव्यों में अंतर नहीं होता है । इसी प्रकार शेष दोनों द्रव्यों के लिये समझना । संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य शेप द्रव्यों के कितनेवें भाग प्रमाण होते हैं ? क्या संख्यात भाग प्रमाण होते हैं या असंख्यात भाग प्रमाण होते हैं ? संख्यात भागों प्रमाण अथवा असंख्यात भागों प्रमाण होते हैं ? वह शेष द्रव्यों के नियमतः तीसरे भाग प्रमाण होते
SR No.009790
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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