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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
[५२] द्रव्यस्कन्ध क्या है ? दो प्रकार का है । आगमद्रव्यस्कन्ध और नोआगमद्रव्यस्कन्ध । आगमद्रव्यस्कन्ध क्या है ? जिसने स्कन्धपद को गुरु से सीखा है, स्थित किया है, जित, मित किया है यावत् नैगमनय की अपेक्षा एक अनुपयुक्त आत्मा आगम से एक द्रव्यस्कन्ध है, दो अनुपयुक्त आत्मायें दो, इस प्रकार जितनी भी अनुपयुक्त आत्मायें हैं, उतने ही आगमद्रव्यस्कन्ध जानना । इसी तरह व्यवहारनय को भी जानना । संग्रहनय एक अनुपयुक्त आत्मा एक द्रव्यस्कन्ध और अनेक अनुपयुक्त आत्मायें अनेक आगमद्रव्यस्कन्ध ऐसा स्वीकार नहीं करता, किन्तु सभी को एक ही आगमद्रव्यस्कन्ध मानता है । ऋजुसूत्रनय से एक अनुपयुक्त आत्मा एक आगमद्रव्यस्कन्ध है । वह भेदों को स्वीकार नहीं करता है । तीनों शब्दन ज्ञायक यदि अनुपयुक्त हो तो उसे अवस्तु मानते हैं । क्योंकि जो ज्ञायक है वह अनुपयुक्त नहीं होता है ।
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नो आगमद्रव्यस्कन्ध क्या है ? तीन प्रकार का है । ज्ञायक शरीरद्रव्यस्कन्ध, भव्यशरीरद्रव्यस्कन्ध और ज्ञायकशरीरभव्यशरीरव्यतिरिक्तद्रव्यस्कन्ध । ज्ञायकशरीरद्रव्यस्कन्ध क्या है ? स्कन्धपद के अर्थाधिकार को जानने वाले यावत् जिसने स्कन्ध पद का अध्ययन किया था, प्रतिपादन किया था आदि पूर्ववत् । भव्यशरीरद्रव्यस्कन्ध क्या है ? समय पूर्ण होने पर यथाकाल कोई योनिस्थान से बाहर निकला और वह यावत् भविष्य में 'स्कन्ध' इस पद के अर्थ को सीखेगा, उस जीव का शरीर भव्यशरीद्रव्यस्कन्ध है । इसका दृष्टान्त ? भविष्य में यह मधुकुंभ है, यह घृतकुंभ है । ज्ञायकशरीर भव्यशरीरव्यतिरिक्तद्रव्यस्कन्ध क्या है ? उसके I तीन प्रकार हैं । सचित्त, अचित्त और मिश्र ।
[ ५३ ] सचित्तद्रव्यस्कन्ध क्या है ? उसके अनेक प्रकार हैं हय, स्कन्ध, गज, स्कन्ध, किन्नरस्कन्ध, किंपुरुषस्कन्ध, महोरगस्कन्ध, वृषभ, स्कन्ध । यह सचित्तद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है ।
[५४] अचित्तद्रव्यस्कन्ध स्वरूप है ? अनेक प्रकार का है । द्विप्रदेशिक स्कन्ध, त्रिप्रदेशिक स्कन्ध यावत् दसप्रदेशिक स्कन्ध, संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध, असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध, अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध । यह अचित्तद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है ।
[ ५५ ] मिश्रद्रव्यस्कन्ध क्या है ? अनेक प्रकार का है । सेना का अग्रिम स्कन्ध, सेना का मध्यस्कन्ध, सेना का अंतिम स्कन्ध | यह मिश्रद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है ।
[ ५६ ] अथवा ज्ञायकशरीर-भव्यशरीरव्यतिरिक्तद्रव्यस्कन्ध के तीन प्रकार हैं । कृत्स्नस्कन्ध, अकृत्स्नस्कन्ध, अनेकद्रव्यस्कन्ध ।
[ ५७ ] कृत्स्नस्कन्ध क्या है ? हयस्कन्ध, गजस्कन्ध यावत् वृषभस्कन्ध जो पूर्व में कहे, वही कृत्स्नस्कन्ध हैं । यही कृत्स्नस्कन्ध का स्वरूप है ।
[ ५८ ] अकृत्स्नस्कन्ध क्या है ? पूर्व में कहे गये द्विप्रदेशिक स्कन्ध आदि यावत् अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध हैं ।
[ ५९ ] अनेकद्रव्यस्कन्ध क्या है ? एकदेश अपचित्त और एकदेश उपचित्त भाग मिलकर उनका जो समुदाय बनता है, वह अनेकद्रव्यस्कन्ध है ।
[६० ] भावस्कन्ध क्या है ? दो प्रकार का कहा है । आगमभावस्कन्ध, नोआगम
भावस्कन्ध ।