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व्यवहार - १०/२८८
को सर्वे सूत्र का अध्ययन उदेसो आदि करवाना कल्पे ।
[२९] वैवावच्च दश तरह से बताई है । वो इस प्रकार - आचार्य की, उपाध्याय की, स्थविर की, शिष्य की, ग्लान की, तपस्वी की, साधर्मिक की, कुल की, गण की, साधु संघ की । (यह आचार्य, उपाध्याय.... यावत् .... संघ की वैयावच्च करनेवाले साधु महा निर्जरा - महालाभ पाते है ।
३६ व्यवहार - छेदसूत्र - ३ - हिन्दी अनुवाद पूर्ण
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