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जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति - ७/२७२
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गौतम ! लम्बाई - चौराई ५६ / ६१ योजन, परिधि उससे कुछ अधिक तीन गुनी तथा ऊँचाई २८/६१ योजन है ।
[२७३] भगवन् ! जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत से सर्वाभ्यन्तर चन्द्र मण्डल कितनी दूरी पर है ? गौतम ! ४४८२० योजन की दूरी पर है । जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत से दूसरा आभ्यन्तर चन्द्र-मण्डल ४४८५६–२५ / ६१ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से ४ भाग योजनांश की दूरी पर है । इस क्रम से निष्क्रमण करता हुआ चन्द्र पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल का संक्रमण करता हुआ एक-एक मण्डल पर ३६-२५/६१ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के ७ भागों में से ४ भाग योजनांश की अभिवृद्धि करता हुआ सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है । भगवन् ! जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत से सर्वबाह्य चन्द्र-मण्डल कितनी दूरी पर है ? गौतम ! ४५३३० योजन की दूरी पर है। जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत से दूसरा बाह्य चन्द्र- मण्डल ४५२९३ - ३५ / ६१ योजन तथा ६१ भागों के विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से ३ भाग योजनांश की दूरी पर है । इस क्रम से प्रवेश करता हुआ चन्द्र पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल का संक्रमण करता हुआ एक-एक मण्डल पर ३६ - २५ / ६१ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से ४ भाग योजनांश की वृद्धि में कमी करता हुआ सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है ।
[२७४] भगवन् ! सर्वाभ्यन्तर चन्द्र मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी है ? गौतम ! सर्वाभ्यन्तर चन्द्र मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई ९९६४० योजन तथा उसकी परिधि कुछ अधिक ३१५०८९ योजन है । द्वितीय आभ्यन्तर चन्द्र मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई ९९७१२-५१/६१ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से १ भाग योजनांश तथा उसकी परिधि कुछ अधिक ३१५३१९ योजन है । इस क्रम से निष्क्रमण करता हुआ चन्द्र प्रत्येक मण्डल पर ७२–५६ / ६१ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से १ भाग योजनांश विस्तारवृद्धि करता हुआ तथा २३० योजन परिधिवृद्धि करता हुआ सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है । भगवन् ! सर्वबाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गई है ? गौतम ! १००६६० योजन तथा उसकी परिधि ३१८३१५ योजन है । द्वितीय बाह्य चन्द्र मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई १००५८७-९/६१ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से ६ भाग योजनांश तथा उसकी परिधि ३१८०८५ योजन है । इस क्रम से प्रवेश करता हुआ चन्द्र पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल का संक्रमण करता हुआ प्रत्येक मण्डल पर ७२ - ५१ / ६१ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से १ भाग योजनांश विस्तारवृद्धि कम करता हुआ तथा २३० योजन परिधिवृद्धि कम करता हुआ सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है ।
[२७५] भगवन् ! जब चन्द्र सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र पार करता है ? गौतम ! ५०७३-७७४४ / १३७२५ योजन । तब वह यहाँ स्थित मनुष्यों को ४७२६३-२१/६१ योजन की दूरी से दष्टिगोचर होता है । जब चन्द्र दूसरे आभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब प्रतिमुहूर्त ५०७७