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प्रज्ञापना- २१/-/५२२
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आहारकशरीर होता है, उसको नियम से औदारिकशरीर होता है । जिसके औदारिकशरीर होता है, उसको तैजसशरीर तथा जिसको तैजसशरीर होता है, उसको औदारिकशरीर होता है ? गौतम ! जिसके औदारिकशरीर होता है, उसके नियम से तैजसशरीर होता है, और जिसके तैजसशरीर होता है, उसके औदारिकशरीर कदाचित् होता है, कदाचित् नहीं । इसी प्रकार कार्मणशरीर का संयोग भी समझ लेना । जिसको वैक्रियशरीर होता है, उसके आहारकशरीर तथा जिसको आहारकशरीर होता है, उसके वैक्रियशरीर भी होता है ? गौतम ! जिस को वैक्रियशरीर होता है, उसके आहारकशरीर नहीं होता, तथा जिसके आहारकशरीर होता है, उसके वैक्रिय शरीर नहीं होता है । औदारिक के साथ तैजस एवं कार्मण के समान आहारकशरीर के साथ भी तैजस- कार्मणशरीर का कथन करना । जिसको तैजसशरीर होता है, उसके कार्मणशरीर तथा जिसको कार्मणशरीर होता है, उसको तैजसशरीर होता है ? गौतम ! हां, होता है |
[५२३] भगवन् ! औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस और कार्मण, इन पांच शरीरों में से, द्रव्य की अपेक्षा से, प्रदेशों की अपेक्षा से तथा द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा से, कौन, किससे अल्प, बहुत तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? गौतम ! द्रव्य की अपेक्षा से - सबसे अल्प आहारकशरीर हैं । (उनसे) वैक्रियशरीर, असंख्यातगुणा हैं । (उनसे) औदारिकशरीर असंख्यातगुणा हैं । तैजस और कार्मण शरीर दोनों तुल्य हैं, (किन्तु औदारिकशरीर से ) अनन्तगुणा हैं । प्रदेशों की अपेक्षा से - सबसे कम आहारकशरीर हैं । (उनसे) वैक्रियशरीर असंख्यातगुणा हैं । ( उनसे ) औदारिकशरीर असंख्यातगुणा हैं । ( उनसे ) तैजसशरीर अनन्तगुणा हैं । (उनसे ) कार्मणशरीर अनन्तगुणा हैं । द्रव्यं एवं प्रदेशों की अपेक्षा से द्रव्य से, आहारकशरीर सबसे अल्प हैं(उनसे) वैक्रियशरीर असंख्यातगुणे हैं । (उनसे) औदारिकशरीर, असंख्यातगुणे हैं । औदारिकशरीरों से द्रव्य से आहारकशरीर प्रदेशों से अनन्तगुणा हैं । (उनसे) वैक्रियशरीर प्रदेशों से असंख्यातगुणा हैं (उनसे ) औदारिकशरीर असंख्यातगुणा हैं । तैजस और कार्मण, दोनों शरीर द्रव्य से तुल्य हैं । तथा द्रव्य से अनन्तगुणे हैं । ( उनसे ) तैजसशरीर प्रदेशों से अनन्तगुणा हैं । ( उनसे ) कार्मणशरीर प्रदेशों से अनन्तगुणा हैं ।
[५२४] भगवन् ! औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस और कार्मण, इन पांच शरीरों में से, जघन्य - अवगाहना, उत्कृष्ट - अवगाहना एवं जघन्योत्कृष्ट - अवगाहना की दृष्टि से, कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम औदारिकशरीर की जघन्य अवगाहना है । तैजस और कार्मण, दोनों शरीरों की अवगाहना परस्पर तुल्य है, किन्तु औदारिकशरीरकी जघन्य अवगाहना से विशेषाधिक है । ( उससे) वैक्रियशरीर की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । ( उससे ) आहारकशरीर की असंख्यातगुणी है ।
उत्कृष्ट अवगाहना से सबसे कम आहारक शरीर की अवगाहना है, उनसे औदारिक शरीर की संख्यात गुणी है, उनसे वैक्रिय शरीर की असंख्यातगुणी है, उनसे तैजस कार्मण शरीर की असंख्यातगुणी है । जघन्योत्कृष्ट अवगाहना से सबसे अल्प औदारिकशरीरावगाहना है, तैजस कार्मण की उनसे विशेषाधिक है, वैक्रियशरीरावगाहना असंख्यातगुणी है आहारकशरीर की उससे असंख्यातगुणी है ।
पद - २१- का मुनिदीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
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