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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
कापोत। भगवन् ! कितनी लेश्याएँ सुगन्ध वाली हैं ? गौतम ! तीन, तेजो यावत् शुक्ल । इसी प्रकार तीन-तीन अविशुद्ध और विशुद्ध हैं, अप्रशस्त और प्रशस्त हैं, संक्लिष्ट और असंक्लिष्ट हैं, शीत और रूक्ष हैं, उष्ण और स्निग्ध हैं, दुर्गतिगामिनी और तीन सुगतिगामिनी हैं ।
[४६७] भगवन् ! कृष्णलेश्या कितने प्रकार के परिणाम में परिणत होती है ? गौतम ! तीन, नौ, सत्ताईस, इक्यासी या दो सौ तेतालीस प्रकार के अथवा बहुत-से या बहुत प्रकार के परिणाम में परिणत होती है । कृष्णलेश्या की तरह नीललेश्या से लेकर शुक्ललेश्या तक यही समझना । भगवन् ! कृष्णलेश्या कितने प्रदेशवाली है ? गौतम ! अनंत, इसी प्रकार शुक्ललेश्या तक समझना । भगवन् ! कृष्णलेश्या आकाश के कितने प्रदेशों में अवगाढ़ है ? गौतम ! असंख्यात, इसी प्रकार शुक्ललेश्या तक समझना । भगवन् ! कृष्णलेश्या की कितनी वर्गणाएँ हैं ? गौतम ! अनन्त, इसी प्रकार शुक्ललेश्या तक जानना ।
[४६८] भगवन् ! कृष्णलेश्या के स्थान कितने हैं ? गौतम ! असंख्यात, इसी प्रकार शुक्ललेश्या तक कहना । भगवन् ! इन कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या के जघन्य स्थानों में से द्रव्य से, प्रदेशों से और द्रव्य तथा प्रदेशों से कौन, किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! द्रव्य से, सबसे थोड़े जघन्य कापोतलेश्यास्थान हैं, उनसे नीललेश्या के असंख्यातगुणे हैं, उनसे कृष्णलेश्या के असंख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्या के असंख्यातगुणे हैं, उनसे पद्मलेश्या के असंख्यातगुणे हैं, उनसे शुक्ललेश्या के असंख्यातगुणे हैं । प्रदेशो से इसी प्रकार अल्पबहुत्व जानना । द्रव्य और प्रदेशों से सबसे कम कापोतलेश्या के जघन्य स्थान द्रव्य से हैं, उनसे नीललेश्या के असंख्यातगुणे हैं, उनसे जघन्य कृष्णलेश्यास्थान, तेजो यावत् शुक्ललेश्यास्थान द्रव्य से (क्रमशः) असंख्यातगुणे हैं । द्रव्य से शुक्ललेश्या के जघन्य स्थानों से, कापोतलेश्या के जघन्य स्थान प्रदेशों से अनन्तगुणे हैं, उनसे नीललेश्या के जघन्य स्थान प्रदेशों की अपेक्षा से असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार कृष्ण, तेजो, पद्म एवं शुक्ललेश्या के जघन्य स्थान प्रदेशों से उत्तरोत्तर असंख्यातगुणे हैं । इसी प्रकार इनके उत्कृष्ट स्थानका अल्पबहुत्व कहना ।
इस कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या के जघन्य और उत्कृष्ट स्थानों में सबसे थोड़े द्रव्य की अपेक्षा से कापोतलेश्या के जघन्य स्थान हैं, उनसे नीललेश्या के जघन्य स्थान से असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार कृष्णलेश्या तेजो यावत् शुक्ललेश्या के जघन्य स्थान द्रव्य से (उत्तरोत्तर) असंख्यातगुणे हैं । द्रव्य की अपेक्षा से जघन्य शुक्ललेश्यास्थानों से उत्कृष्ट कापोतलेश्यास्थान असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्या के उत्कृष्ट स्थान से असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार कृष्ण, तेजो यावत् शुक्ललेश्या के उत्कृष्ट स्थान (उत्तरोत्तर) द्रव्य से असंख्यातगुणे हैं । प्रदेशों से जो अल्पबहुत्व है वह द्रव्य के समान ही जानना । द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा से सबसे थोड़े कापोतलेश्या के जघन्य स्थान द्रव्य की अपेक्षा से हैं, उनसे नीललेश्या के जघन्य स्थान द्रव्य की अपेक्षा से असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार कृष्ण, तेजो यावत् शुक्ललेश्या के जघन्य स्थान द्रव्य से (उत्तरोत्तर) असंख्यातगुणे हैं । द्रव्य की अपेक्षा से जघन्य शुक्ललेश्यास्थानों से उत्कृष्ट कापोतलेश्यास्थान असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार नील, कृष्ण, तेजो यावत् शुक्ललेश्या के उत्कृष्ट स्थान द्रव्य से (उत्तरोत्तर) असंख्यातगुणे हैं । द्रव्य की