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________________ ४९ प्रज्ञापना - १५/१/४२२ के अनन्तगुणे हैं, ( उनसे ) घ्राणेन्द्रिय के अनन्तगुणे हैं, ( उनसे ) जिह्वेन्द्रिय के अनन्तगुणे हैं, (उनसे) स्पर्शेन्द्रिय के अनन्तगुणे हैं । स्पर्शनेन्द्रिय के कर्कश-गुरुगुणों से उसी के मृदु-लघुगुण अनन्तगुणे हैं, ( उनसे) जिह्वेन्द्रिय के अनन्तगुणे हैं, ( उनसे) घ्राणेन्द्रिय के अनन्तगुणे हैं, (उनसे ) श्रोत्रेन्द्रिय के अनन्तगुणे हैं, ( और उनसे ) चक्षुरिन्द्रिय के मृदु-लघुगुण अनन्तगुणे हैं। [४२३] भगवन् ! नैरयिकों के कितनी इन्द्रियाँ हैं ? गौतम ! पांच श्रोत्रेन्द्रिय से स्पर्शनेन्द्रिय तक । भगवन् ! नारकों की श्रोत्रेन्द्रिय किस आकार की होती है ? गौतम ! कदम्बपुष्प के आकार की । इसी प्रकार समुच्चय जीवों में पंचेन्द्रियों के समान नारकों की भी वक्तव्यता कहना । विशेष यह कि नैरयिकों की स्पर्शनेन्द्रिय दो प्रकार की है, यथा-भवधारणीय और उत्तरवैक्रिय । ते दोनो हुण्डकसंस्थान की है । भगवन् ! असुरकुमारों के कितनी इन्द्रियाँ हैं ? गौतम ! पांच, समुच्चय जीवों के समान असुरकुमारों की इन्द्रियसम्बन्धी वक्तव्यता कहना । विशेष यह कि ( इनकी) स्पर्शनेन्द्रिय दो प्रकार की है, यथा-भवधारणीय समचतुरस्त्रसंस्थान वाली है और उत्तरवैक्रिय नाना संस्थान वाली होती है । इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक समझना । भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीवों के कितनी इन्द्रियाँ हैं ? गौतम ! एक स्पर्शनेन्द्रिय ( ही ) है । भगवन् ! पृथ्वीकायिकों की स्पर्शनेन्द्रिय किस आकार की है ? गौतम ! मसूर - चन्द्र के आकार की है । पृथ्वीकायिकों की स्पर्शनेन्द्रिय का बाहल्य अंगुल से असंख्यातवें भाग है । उनका पृथुत्व उनके शरीरप्रमाणमात्र है । पृथ्वीकायिकों की स्पर्शनेन्द्रिय अनन्तप्रदेशी है । और वे असंख्यात प्रदेशों में अवगाढ है । भगवन् ! इन पृथ्वीकायिकों की स्पर्शनेन्द्रिय, अवगाहना की अपेक्षा और प्रदेशों की अपेक्षा से कौन, किससे अल्प, बहुत तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? गौतम ! पृथ्वीकायिकों की स्पर्शनेन्द्रिय अवगाहना की अपेक्षा सबसे कम है, प्रदेशों की अपेक्षा से अनन्तगुणी (अधिक ) है । भगवन् ! पृथ्वीकायिकों की स्पर्शनेन्द्रिय के कर्कश - गुरु-गुण कितने हैं ? गौतम ! अनन्त । इसी प्रकार मृदु-लघुगुणों के विषय में भी समझना । भगवन् ! इन पृथ्वीकायिकों की स्पर्शनेन्द्रिय के कर्कश - गुरुगुणों और मृदुलघुगुणों में से कौन, किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! कर्कश और गुरु गुण सबसे कम हैं, उनसे मृदु तथा लघु गुण अनन्तगुणे हैं । पृथ्वीकायिकों के समान अप्कायिकों से वनस्पतिकायिकों तक समझ लेना, किन्तु इनके संस्थान में विशेषता है- अप्कायिकों की स्पर्शनेन्द्रिय बिन्दु के आकार की है, तेजस्कायिकों की सूचीकलाप के आकार की, वायुकायिकों की पताका आकार की तथा वनस्पतिकायिकों का आकार नाना प्रकार का है । भगवन् ! द्वीन्द्रिय जीवों को कितनी इन्द्रियाँ हैं ? गौतम ! दो, जिह्वेन्द्रिय और स्पर्शनेन्द्रिय । दोनों इन्द्रियों के संस्थान, बाहल्य, पृथुत्व, प्रदेश और अवगाहना के विषय में औधिक के समान कहना । विशेषता यह कि स्पर्शनेन्द्रिय हुण्डकसंस्थान वाली होती है । भगवन् ! इन द्वीन्द्रियों की जिह्वेन्द्रिय और स्पर्शनेन्द्रिय में से अवगाहना की अपेक्षा से, प्रदेशों की अपेक्षा से तथा अवगाहना और प्रदेशों (दोनों) की अपेक्षा से कौन, किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? गौतम ! अवगाहना की अपेक्षा से द्वीन्द्रियों की जिह्वेन्द्रिय सबसे कम है, ( उससे ) संख्यातगुणी स्पर्शनेन्द्रिय है । प्रदेशों से - सबसे कम द्वीन्द्रिय की 84
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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