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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
को होता है, किसी के नहीं होता । जिसके होता है, उसके एक ही होता है । इसी प्रकार भावी (केवलिसमुद्घात) को भी जानना ।।
[६०२] नारकों के कितने वेदनासमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! अनन्त । भावी वेदनासमुद्घात कितने होते हैं ? गौतम ! अनन्त । इसी प्रकार वैमानिकों तक जानना । इसी प्रकार तैजससमुद्घात पर्यन्त समझना । इस प्रकार इन पांचों समुद्घातों को चौवीसों दण्डकों में बहुवचन के रूप में समझ लेना ।
नारकों के कितने आहारकसमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! असंख्यात । आगामी आहारकसमुद्घात कितने होते हैं ? गौतम ! असंख्यात । इसी प्रकार वैमानिकों तक समझलेना। विशेषता यह कि वनस्पतिकायिकों और मनुष्यों की वक्तव्यता में भिन्नता है, वनस्पतिकायिक जीवों के आहारकसमुद्घात अनन्त अतीत हुए हैं ? मनुष्यों के आहारकसमुद्धात कथंचित् संख्यात और कथंचित् असंख्यात हुए हैं । इसी प्रकार उनके भावी आहारकसमुद्घात भी समझ लेना । नैरयिकों के कितने केवलिसमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! एक भी नहीं है | कितने केवलिसमुद्घात आगामी हैं ? गौतम ! असंख्यात हैं । इसी प्रकार वैमानिकों तक समझना। विशेष यह कि वनस्पतिकायिकों और मनुष्यों में भिन्नता है, वनस्पतिकायिकों के केवलिसमुद्घात अतीत में नहीं हैं ? इनके भावी केवलिसमुद्घात अनन्त हैं । मनुष्यों के केवलिसमुद्घात अतीत में कथञ्चित् हैं और कथञ्चित् नहीं हैं । यदि हैं तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट शतपृथक्त्व हैं । उनके भावी केवलिसमुद्घात कथञ्चित् संख्यात हैं और कथञ्चित् असंख्यात हैं ।
[६०३] एक-एक नैरयिक के नारकत्व में कितने वेदनासमुद्घात अतीत हुए हैं । गौतम ! अनन्त । कितने भावी होते हैं ? गौतम ! वे किसी के होते हैं, किसी के नहीं होते। जिसके होते हैं, उसके जघन्य एक, दो या तीन होते हैं और उत्कृष्ट संख्यात, असंख्यात अथवा अनन्त होते हैं । इसी प्रकार एक-एक नारक के असुरकुमारत्व यावत् वैमानिकत्व में समझना । एक-एक असुरकुमार के नारकत्व में कितने वेदनासमुद्धात अतीत हुए हैं ? गौतम! अनन्त । भावी कितने होते हैं ? गौतम ! किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते हैं, जिसके होते हैं, उसके कदाचित् संख्यात, कदाचित् असंख्यात और कदाचित् अनन्त होते हैं । एकएक असुरकुमार के असुरकुमारपर्याय में कितने वेदनासमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! अनन्त । भावी कितने होते हैं ? गौतम ! किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते हैं, जिसके होते हैं, उसके जघन्य एक, दो या तीन होते हैं और उत्कृष्ट संख्यात, असंख्यात अथवा अनन्त होते हैं । इसी प्रकार नागकुमार यावत् वैमानिकपर्याय में रहते हुए अतीत और अनागत वेदनासमुद्घात समझना । असुरकुमार के वेदनासमुद्घात के समान नागकुमार आदि से लेकर शेष सब स्वस्थानों और परस्थानों में वेदनासमुद्घात यावत् वैमानिक के वैमानिकपर्याय पर्यन्त कहना । इसी प्रकार चौवीस दण्डकों में से प्रत्येक के चौवीस दण्डक होते हैं ।
[६०४] भगवन् ! एक-एक नारक के नारकपर्याय में कितने कपायसमुद्घात अतीत हए हैं ? गौतम ! अनन्त । भावी कितने होते हैं ? गौतम ! किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते । जिसके होते हैं, उसके एक से लेकर यावत् अनन्त हैं । एक-एक नारक के असुरकुमारपर्याय में कितने कषायसमुद्घात अतीत होते हैं ? गौतम ! अनन्त । भावी कितने