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प्रज्ञापना-३५/-/५९८
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याणव्यन्तर देवों को नैरयिकों के समान जानना । ज्योतिष्कदेव निदावेदना वेदते हैं या अनिदावेदना ? गौतम ! वे दोनो वेदना वेदता है । क्योंकी-गौतम ! ज्योतिष्क देव दो प्रकार के हैं, -मायिमिथ्यादृष्टिउपपन्नक और अमायिसम्यग्दृष्टिउपपन्नक । जो मायिमिथ्यादृष्टिउपपत्रक हैं, वे अनिदावेदना वेदते हैं और जो अमायिसम्यग्दृष्टिउपपत्रक हैं, वे निदावेदना वेदते हैं । वैमानिक देवों के सम्बन्ध में भी इसी प्रकार कहना ।।
पद-३५-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
(पद-३६- "समुद्घात") [५९९] जीवों और मनुष्यों के ये सात ही समुद्घात होते हैं-वेदना, कषाय, मरण, वैक्रिय, तैजस, आहार और कैवलिक । - [६००] भगवन् ! समुद्घात कितने हैं ? गौतम ! सात, वेदनासमुद्घात, कषायसमुद्घात, मारणान्तिकसमुद्घात, वैक्रियसमुद्घात, तैजससमुद्घात, आहारकसमुद्घात और केवलिसमुद्घात। भगवन् ! वेदनासमुद्घात कितने समय का है ? गौतम ! असंख्यात समयोंवाले अन्तर्मुहर्त का। इसी प्रकार आहारकसमुद्घात पर्यत कहना । केवलिसमुद्घात आठ समय का है।
भगवन् ! नैरयिकों के कितने समुद्घात हैं ? गौतम ! चार, -वेदना, कषाय, मारणान्तिक एवं वैक्रियसमुद्घात । भगवन् ! असुरकुमारों के कितने समुद्घात हैं ? गौतम ! पांच, -वेदना, कषाय, मारणान्तिक, वैक्रिय और तैजससमुद्घात । इसी प्रकार स्तनितकुमारों पर्यन्त कहना । पृथ्वीकायिक जीवों के तीन समुद्घात हैं । वेदना, कषाय और मारणान्तिकसमुद्घात । इसी प्रकार चतुरिन्द्रियों पर्यन्त जानना । विशेष यह कि वायुकायिक जीवों के चार समुद्घात हैं, वेदना, कषाय, मारणान्तिक और वैक्रियसमुद्घात । पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों से लेकर वैमानिकों पर्यन्त पांच समुद्घात हैं, यथा-वेदना, कषाय, मारणान्तिक, वैक्रिय और तैजससमुद्घात । विशेष यह कि मनुष्यों के सात समुद्घात हैं, यथा-वेदना, यावत् केवलिसमुद्घात ।
[६०१] भगवन् ! एक-एक नारक के कितने वेदनासमुद्धात अतीत हुए हैं ? हे गौतम ! अनन्त । भगवन् ! भविष्य में कितने होने वाले हैं ? गौतम ! किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते । जिसके होते हैं, उसके जघन्य एक, दो या तीन होते हैं और उत्कृष्ट संख्यात, असंख्यात या अनन्त होते हैं । इसी प्रकार असुरकुमार से वैमानिक तक जानना । इसी प्रकार तैजससमुद्घात तक जानना । इसी प्रकार ये पांचों समुद्घात भी समझना ।
भगवन् ! एक-एक नारक के अतीत आहारकसमुद्घात कितने हैं ? गौतम ! वे किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते । जिसके होते हैं, उसके भी जघन्य एक या दो होते हैं
और उत्कृष्ट तीन होते हैं । एक-एक नारक के भावी समुद्घात कितने हैं ? गौतम ! किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते । जिसके होते हैं, उसके जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट चार समुद्घात होते हैं । इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त कहना । विशेष यह कि मनुष्य के अतीत और अनागत नारक के आहारकसमुद्घात के समान हैं । एक-एक नारक के अतीत केवलिसमुद्घात कितने हुए हैं ? गौतम ! नहीं हैं । भगवन् ! भावी कितने होते हैं ? गौतम ! किसी के होता है, किसी के नहीं होता । जिसके होता है, उसके एक ही होता है । इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त कहना । विशेष यह कि किसी मनुष्य के अतीत केवलिसमुद्घात किसी