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प्रज्ञापना-२२/-/५२७
कहना । अवशिष्ट समस्त जीवों में नैरयिकों के समान कहना । इस प्रकार समुच्चय जीवों और एकेन्द्रियों को छोड़कर तीन-तीन भंग सर्वत्र मिथ्यादर्शनशल्य तक कहना । इस प्रकार एकत्व और पृथक्त्व को लेकर छत्तीस दण्डक होते हैं ।
[५२८] भगवन् ! एक जीव ज्ञानावरणीय कर्म को बांधता हुआ कितनी क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! कदाचित् तीन, कदाचित् चार और कदाचित् पांच । इसी प्रकार एक नैरयिक से एक वैमानिक तक कहना । (अनेक) जीव ज्ञानावरणीय कर्म को बांधते हुए, कितनी क्रियाओं वाले होते हैं ? गौतम ! पूर्ववत् समस्त कथन कहना । इस प्रकार शेष सर्व कर्मप्रकृतियों को वैमानिक तक समझलेना । एकत्व और पृथक्त्व के सोलह दण्डक होते है।
भगवन् ! (एक) जीव, (एक) जीव की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! कदाचित तीन, कदाचित चार, कदाचित पांच और कदाचित अक्रिय । भगवन ! (एक) जीव, (एक) नारक की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! कदाचित् तीन, कदाचित् चार और कदाचित् अक्रिय । इसी प्रकार एक जीव की, (एक) स्तनितकुमार तक की क्रियाए कहना । एक जीव का एक पृथ्वीकायिक, यावत् वनस्पतिकायिक, द्वीन्द्रिय यावत् पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक एवं एक मनुष्य की अपेक्षा से कहना । एक वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक की अपेक्षा क्रियासम्बन्धी आलापक नैरयिक के समान कहना ।
भगवन् ! (एक) जीव, (अनेक) जीवों की अपेक्षा से कितनी क्रियाओंवाला होता है ? गौतम ! एक जीव के समान ही कथन करना । भगवन् ! (एक) जीव, (अनेक) नैरयिकों की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! एक जीव के समान ही जानना । अनेक जीव का एक जीव के साथ, अनेक जीव का अनेक जीव के साथ भी इसी प्रकार कथन कर लेना । इसी प्रकार अनेक जीवों के अनेक असुरकुमारों से यावत् (अनेक) वैमानिकों की अपेक्षा से क्रियासम्बन्धी आलापक कहना । विशेष यह कि (अनेक) औदारिकशरीरधारकों से जब क्रियासम्बन्धी आलापक कहने हों, तब उक्त अनेक जीवों की अपेक्षा से क्रियासम्बन्धी आलापक के समान कहना ।
(एक) नैरयिक, (एक) जीव की अपेक्षा से कितनी क्रियावाला होता है ? गौतम ! कदाचित् तीन, कदाचित् चार और कदाचित् पांच क्रियाओं वाला । भगवन् ! (एक) नैरयिक (एक) नैरयिक की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! कदाचित् तीन और कदाचित चार क्रियाओं वाला । इसी प्रकार यावत एक वैमानिक की अपेक्षा से कहना । विशेष यह कि (एक) औदारिकशरीरधारक जीव की अपेक्षा से कहने हों, तब एक जीव की
अपेक्षा के समान कहना । भगवन् ! (एक) नारक, (अनेक) जीवों की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! कदाचित् तीन, कदाचित् चार और कदाचित् पांच क्रियाओं वाला । भगवन् ! एक नैरयिक, अनेक नैरयिकों की अपेक्षा से कितनी क्रियाओंवाला होता है ? गौतम ! कदाचित् तीन और कदाचित् चार क्रियाओंवाला । इस प्रकार दण्डक समान यह दण्डक भी कहना । इसी प्रकार यावत् अनेक वैमानिकों की अपेक्षा से कहना । विशेष यह कि (एक) नैरयिक के (अनेक) नैरयिकों की अपेक्षा से पंचम क्रिया नहीं होती ।
भगवन् ! (अनेक) नैरयिक, (एक) जीव की अपेक्षा से कितनी क्रियाओंवाले होते हैं ? गौतम ! कदाचित् तीन, कदाचित् चार और कदाचित् पांच क्रियाओं वाले । इसी प्रकार