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जीवाजीवाभिगम-३/नैर.-१/९०
त्रिभागन्यून आठ कोस और अधःसप्तमपृथ्वी का तनुवातवलय आठ कोस बाहल्य वाला है ।
___ हे भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के छह योजन बाहल्य वाले और प्रतरादि विभाग वाले घनोदधिवलय में वर्ण से काले आदि द्रव्य हैं क्या ? हाँ, गौतम ! हैं । इस प्रकार सप्तमपृथ्वी के घनोदधिवलय तक कहना । हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के साढ़े चार योजन बाहल्य वाले और प्रतरादि रूप में विभक्त घनवातवलय में वर्णादि परिणत द्रव्य हैं क्या ? हाँ, गौतम हैं ! इसी प्रकार सातवीं पृथ्वी तक कहना । इसी प्रकार तनुवातवलय के सम्बन्ध में भी अपनेअपने बाहल्य का विशेषण लगाकर सप्तम पृथ्वी तक कहना चाहिए । हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के घनोदधिवलय का आकार कैसा कहा गया है ? गौतम ! वर्तुल और वलयाकार कहा गया है, क्योंकि वह इस रत्नप्रभा पृथ्वी को चारों ओर से घेरकर रहा हुआ है । इसी प्रकार सातों पृथ्वियों के घनोदधिवलय का आकार समझना । विशेषता यह है कि वे सब अपनीअपनी पृथ्वी को घेरकर रहे हुए हैं । हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के घनवातवलय का आकार कैसा कहा गया है ? गौतम ! वर्तुल और वलयाकार कहा गया है, क्योंकि वह इस रत्नप्रभा पृथ्वी के घनोदधिवलय को चारों ओर से घेरकर रहा हुआ है । इसी तरह सातों पृथ्वियों के घनवातवलय का आकार जानना । रत्नप्रभापृथ्वी के तनुवातवलय, वर्तुल और वलयाकार कहा गया है, क्योंकि वह घनवातवलय को चारों ओर से घेरकर रहा हुआहै । इसी प्रकार सप्तमपृथ्वी तक के तनुवातवलय का आकार जानना । हे भगवन् ! यह रत्नप्रभा पृथ्वी कितनी लम्बी-चौड़ी है ? गौतम ! असंख्यात हजार योजन लम्बी और चौड़ी तथा असंख्यात हजार योजन की परिधि वाली है । इसी प्रकार सप्तमपृथ्वी तक कहना । यह रत्नप्रभापृथ्वी अन्त में और मध्य में सर्वत्र समान बाहल्य वाली है । इसी प्रकार सातवीं पृथ्वी तक कहना।
[९१] हे भगवन् ! क्या इस रत्नप्रभापृथ्वी में सब जीव पहले काल-क्रम से उत्पन्न हुए हैं तथा युगपत् उत्पन्न हुए हैं ? गौतम ! कालक्रम से सब जीव पहले उत्पन्न हुए हैं किन्तु सब जीव एक साथ रत्नप्रभा में उत्पन्न नहीं हुए । इसी प्रकार सप्तम पृथ्वी तक कहना । हे भगवन् ! यह रत्नप्रभापृथ्वी कालक्रम से सब जीवों के द्वारा पूर्व में परित्यक्त है क्या ? तथा सब जीवों के द्वारा पूर्व में एक साथ छोड़ी गई है क्या ? गौतम कालक्रम से सब जीवों के द्वारा पूर्व में परित्यक्त है परन्तु सब जीवों ने पूर्व में एक साथ इसे नहीं छोड़ा है । इसी प्रकार सप्तम पृथ्वी तक कहना । हे भगवन् ! इस रत्नप्रभातृत्वी में कालक्रम से सब पुद्गल पहले प्रविष्ट हुए हैं क्या ? तथा क्या एक साथ सब पुद्गल इसमें पूर्व में प्रविष्ट हुए हैं ? गौतम ! कालक्रम से सब पुद्गल पहले प्रविष्ट हुए हैं परन्तु एक साथ सब पुद्गल पूर्व में प्रविष्ट नहीं हुए हैं । इसी प्रकार सातवीं पृथ्वी तक कहना । हे भगवन् ! यह रत्नप्रभापृथ्वी कालक्रम से सब पुद्गलों के द्वारा पूर्व में परित्यक्त है क्या ? तथा सब पुद्गलों ने एक साथ इसे छोड़ा है क्या ? गौतम ! कालक्रम से सब पुद्गलों द्वारा पूर्व में परित्यक्त है परन्तु सब पुद्गलों द्वारा एक साथ पूर्व में परित्यक्त नहीं है । इस प्रकार सप्तम पृथ्वी तक कहना ।
[१२] हे भगवन् ! यह रत्नप्रभापृथ्वी शाश्वत है या अशाश्वत ? गौतम ! कथञ्चित् शाश्वत है और कथञ्चित् अशाश्वत है । भगवन् ! ऐसा क्यों कहा जाता है-गौतम ! द्रव्यार्थिकनय की अपेक्षा से शाश्वत है और वर्ण, गंध, रस, स्पर्शपर्यायों से अशाश्वत है ।