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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
असंख्यातवां भाग है । संहरण की अपेक्षा जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटि अधिक पल्योपम का असंख्यातवां भाग ।
भगवन् ! देवस्त्री देवस्त्री के रूप में कितने काल तक रह सकती है ? गौतम ! जो उसकी भवस्थिति है, वही उसका अवस्थानकाल है ।
[५७] भगवन् ! स्त्री के पुनः स्त्री होने में कितने काल का अन्तर होता है ? गौतम ! जघन्य से अन्तर्मुहूर्त और उत्कर्ष से अनन्तकाल अर्थात् वनस्पतिकाल । ऐसा सब तिर्यंचस्त्रियों में कहना । मनुष्यस्त्रियों का अन्तर क्षेत्र की अपेक्षा जघन्य से अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल । धर्माचरण की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अनन्तकाल यावत् देशोन अपार्धपुद्गलपरावर्तन । इसी प्रकार यावत् पूर्वविदेह और पश्चिमविदेह की मनुष्यस्त्रियों को जानना । भंते ! अकर्मभूमिक मनुष्यस्त्रियों का अन्तर कितना है ? गौतम ! जन्म की अपेक्षा जघन्य अन्तर्मुहूर्त अधिक दस हजार वर्ष और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल । संहरण की अपेक्षा से जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल । इस प्रकार यावत् अन्तर्वीपों की स्त्रियों का अन्तर कहना । सभी देविस्त्रियों का अन्तर जघन्य से अन्तर्मुहर्त और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है ।
[५८] हे भगवन् ! इन स्त्रियों में कौन किससे अल्प है, अधिक है, तुल्य है या विशेषाधिक है ? गौतम ! सबसे थोड़ी मनुष्यस्त्रियां, उनसे तिर्यक्योनिक स्त्रियां असंख्यातगुणी, उनसे देवस्त्रियां असंख्यातगुणी हैं । भगवन् ! इन तिर्यक्योनि में कौन किससे अल्प, अधिक, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़ी खेचर तिर्यक्योनि की स्त्रियाँ, उनसे स्थलचर तिर्यक्योनि की स्त्रियां संख्यात गुणी, उनसे जलचर तिर्यक्योनि की स्त्रियां संख्यातगुणी हैं । हे भगवन् ! कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक और अंतरद्वीप की मनुष्य स्त्रियों में ? गौतम ! सबसे थोड़ी अंतर्दीपों की मनुष्यस्त्रियां, उनसे देवकुरु-उत्तरकुरु-अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे हरिवास-रम्यकवास-अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे हेमवत और एरण्यवत अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे भरत-एरवत क्षेत्र की कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे पूर्वविदेह-पश्चिमविदेह कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं ।
- भगवन् ! भवनवासी, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवस्त्रियों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं । गौतम ! सबसे थोड़ी वैमानिक देवियां, उनसे भवनवासी देवियां असंख्यातगुणी, उनसे वानव्यन्तरदेवियां असंख्यातगुणी, उनमें ज्योतिष्कदेवियां संख्यातगुणी हैं । पांचवा अल्पबहुत्व यह है ? गौतम ! सबसे थोड़ी अकर्मभूमि की अन्तर्वीपों की मनुष्यस्त्रियां, उनसे देवकुरु-उत्तरकुरु की अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी; उनसे हरिवास-रम्यकवास अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी, उनसे हैमवत-हैरण्यवत अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी; उनसे भरत-ऐस्वत कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी, उनसे पूर्वविदेह और पश्चिमविदेह कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यात गुणी, उनसे वैमानिकदेवियां असंख्यातगुणी, उनसे भवनवासीदेवियां असंख्यातगुणी, उनसे