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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
में विशेषाधिक हैं, दक्षिण में विशेषाधिक हैं और उत्तर में (इनसे भी ) विशेषाधिक हैं । दिशाओं की अपेक्षा सबसे कम मनुष्य दक्षिण एवं उत्तर में हैं, पूर्व में संख्यातगुणे अधिक हैं और पश्चिमदिशा में ( उनसे भी) विशेषाधिक हैं । दिशाओं की अपेक्षा से सबसे थोड़े भवनवासी देव पूर्व और पश्चिम में हैं । असंख्यातगुणे अधिक उत्तर में हैं और ( उनसे भी ) असंख्यातगुणे दक्षिण दिशा में हैं । दिशाओं की अपेक्षा से सबसे अल्प वाणव्यन्तर देव पूर्व में हैं, विशेपाधिक पश्चिम में हैं, विशेषाधिक उत्तर में है और उनसे भी विशेषाधिक दक्षिण में हैं । दिशाओं की अपेक्षा से सबसे थोड़े ज्योतिष्क देव पूर्व एवं पश्चिम में हैं, दक्षिण में विशेषाधिक हैं और उत्तर में उनसे भी विशेषाधिक हैं ।
दिशाओं की अपेक्षा से सबसे अल्प देव सौधर्मकल्प में पूर्व तथा पश्चिम दिशा में हैं, उत्तर में असंख्यातगुणे हैं और दक्षिण में (उनसे भी ) विशेषाधिक हैं । माहेन्द्रकल्प तक दिशाओ की अपेक्षा से यही अल्पबहुत्व समझना । दिशाओं की अपेक्षा से सबसे कम देव - ब्रह्मलोककल्प में पूर्व, पश्चिम और उत्तर में हैं; दक्षिणदिशा में असंख्यातगुणे हैं । सहस्रारकल्प तक यहीं अल्पबहुत्व जानना । हे आयुष्मन् श्रमणो ! उससे आगे (के प्रत्येक कल्प यावत् अनुत्तरविमान में चारों दिशाओं में) बिलकुल सम उत्पन्न होने वाले हैं ।
दिशाओं की अपेक्षा से सबसे अल्प सिद्ध दक्षिण और उत्तरदिशा में हैं । पूर्व में संख्यातगुणे हैं और पश्चिम में ( उनसे ) विशेषाधिक हैं ।
[२६१] भगवन् ! नारकों, तिर्यंचों, मनुष्यों, देवों और सिद्धों की पाँच गतियों की अपेक्षा से संक्षेप में कौन किनसे अल्प हैं, बहुत हैं, तुल्य हैं अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सवसे थोड़े मनुष्य हैं, नैरयिक असंख्यातगुणे हैं, देव असंख्यातगुणे हैं, उनसे सिद्ध अनन्तगुणे हैं और ( उनसे भी ) तिर्यंचयोनिक जीव अनन्तगुणे हैं । भगवन् ! इन नैरयिकों, तिर्यञ्चों, तिर्यचिनियों, मनुष्यों, मनुष्यस्त्रियों, देवों, देवियों और सिद्धों का आठ गतियों की अपेक्षा से, संक्षेप में, कौन किनसे अल्प हैं, बहुत हैं, तुल्य हैं अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम मानुषी हैं, मनुष्य असंख्यातगुणे हैं, नैरयिक असंख्यातगुणे हैं, तिर्यञ्चनियां असंख्यातगुणी हैं, देव असंख्यातगुण हैं, देवियां संख्यातगुणी हैं, सिद्ध अनन्तगुणे हैं, और ( उनसे भी ) तिर्यञ्चयोनिक अनन्तगुणे हैं ।
[२६२] भगवन् ! इन इन्द्रिययुक्त, एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय और अनिन्द्रियों में कौन किन से अल्प, वहुत, तुल्य और विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े पंचेन्द्रिय जीव हैं, चतुरिन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं, त्रीन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं, द्वीन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं, अनिन्द्रिय जीव अनन्तगुणे हैं, एकेन्द्रिय जीव अनन्तगुणे हैं और उनसे इन्द्रियसहित जीव विशेषाधिक हैं । भगवन् ! इन इन्द्रियसहित, एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पञ्चेन्द्रिय अपर्याप्तकों में यावत् कौन विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े पंचेन्द्रिय अपर्याप्तक हैं, चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, त्रीन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, द्वीन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, एकेन्द्रिय अपर्याप्तक अनन्तगुणे हैं और ( उनसे भी ) इन्द्रियसहित अपर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं । भगवन् ! इन इन्द्रियसहित, एकेन्द्रिय यावत् पंचेन्द्रिय पर्याप्तक जीवों में यावत् कौन विशेपाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम चतुरिन्द्रिय