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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
[९] जो दो प्रकार के संसारसमापन्नक जीवों का कथन करते हैं, वे कहते हैं कि जीव त्रस और स्थावर हैं ।
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[१०] स्थावर किसे कहते हैं ? स्थावर तीन प्रकार के हैं-पृथ्वीकायिक, अप्कायिक और वनस्पतिकायिक |
[११] पृथ्वीकायिक का स्वरूप क्या है ? दो प्रकार के हैं- सूक्ष्मपृथ्वीकायिक और पृथ्वीका ।
[१२] सूक्ष्मपृथ्वीकायिक क्या हैं ? दो प्रकार के हैं-पर्याप्तक और अपर्याप्तक । [१३] सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीवों का २३ द्वारों द्वारा निरूपण किया जायेगा१. शरीर, २. अवगाहना, ३. संहनन, ४. संस्थान, ५. कषाय, ६. संज्ञा, ७. लेश्या, ८. इन्द्रिय, ९. समुद्घात, १०. संज्ञी - असंज्ञी, ११. वेद, १२. पर्याप्ति, १३. दृष्टि, १४. दर्शन, १५. ज्ञान, १६. योग, १७ उपयोग, १८. आहार, १९. उपपात, २०. स्थिति, २१. समवहत - असमवहत मरण, २२. च्यवन और २३. गति - आगति ।
[१४] हे भगवन् ! उन सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीवों के कितने शरीर हैं ? गौतम ! तीन, औदारिक, तैजस और कार्मण । भगवन् ! उन जीवों के शरीर की अवगाहना कितनी बड़ी है। गौतम ! जघन्य और उत्कृष्ट से भी अंगुल का असंख्यातवां भाग प्रमाण है । भगवन् ! उन जीवों के शरीर किस संहननवाले हैं ? गौतम ! सेवार्तसंहनन वाले । भगवन् ! उन जीवों के शरीर का संस्थान क्या है ? गौतम ! चन्द्राकार मसूर की दाल के समान है ।
भगवन् ! उन जीवों के कषाय कितने हैं ? गौतम ! चार, क्रोधकषाय, मानकषाय, मायाकषाय और लोभकषाय । भगवन् ! उन जीवों के कितनी संज्ञाएँ हैं ? गौतम ! चार, आहारसंज्ञा यावत् परिग्रहसंज्ञा । भगवन् ! उन जीवों के लेश्याएँ कितनी हैं ? गौतम ! तीन, कृष्णलेश्या, नीललेश्या और कापोतलेश्या । भगवन् ! उन जीवों के कितनी इन्द्रियाँ हैं ? गौतम ! एक, स्पर्शनेन्द्रिय । भगवन् ! उन जीवों के कितने समुद्घात हैं ? गौतम ! तीन, १. वेदना - समुद्घात, २. कषाय- समुद्घात और ३. मारणांतिक समुद्घात ।
भगवन् ! वे जीव संज्ञी हैं या असंज्ञी ? गौतम ! असंज्ञी हैं । भगवन् ! वे जीव स्त्रीवेदवाले हैं, पुरुषवेदवाले हैं या नपुंसकवेदवाले हैं ? गौतम ! वे नपुंसकवेद वाले हैं ? भगवन् ! उन जीवों के कितनी पर्याप्तियाँ हैं ? गौतम ! चार, आहारपर्याप्ति, शरीरपर्याप्ति, इन्द्रियपर्याप्ति और श्वासोच्छ्वासपर्याप्ति । हे भगवन् ! उन जीवों के कितनी अपर्याप्तियाँ हैं ? गौतम ! चार, आहार- अपर्याप्ति यावत् श्वासोच्छ्वास- अपर्याप्ति ।
भगवन् ! वे जीव सम्यग्दृष्टि हैं, मिथ्यादृष्टि हैं या सम्यग् - मिध्यादृष्टि हैं ? गौतम ! वे मिथ्यादृष्टि हैं । भगवन् ! वे जीव चक्षुदर्शनी हैं, अचक्षुदर्शनी हैं, अवधिदर्शनी हैं या केवलदर्शनी हैं ? गौतम ! वे जीव अचक्षुदर्शनी हैं । भगवन् ! वे जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे अज्ञानी हैं । वे नियम से दो अज्ञानवाले हैं-मति - अज्ञानी और श्रुत- अज्ञानी । भगवन् ! वे जीव क्या मनोयोग वाले, वचनयोग वाले और काययोग वाले हैं ? गौतम ! वे काययोग वाले हैं ? भगवन् ! वे जीव क्या साकारोपयोग वाले हैं या अनाकारोपयोग वाले ? गौतम ! साकार - उपयोग वाले भी हैं और अनाकार - उपयोग वाले भी हैं ।