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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
अलात, शुद्ध अग्नि, उल्का विद्युत्, अशनि, निर्घात, संघर्ष-समुत्थित और सूर्यकान्तमणिनिःसृत । इसी प्रकार की अन्य जो भी (अग्नियां) हैं (उन्हें बादर तेजस्कायिका समझना ।)
ये (बादर तेजस्कायिक) संक्षेप में दो प्रकार के हैं पर्याप्तक और अपर्याप्तक । उनमें से जो अपर्याप्तक हैं, वे असम्प्राप्त हैं । उनमें से जो पर्याप्तक हैं, उनके वर्ण, गन्ध रस और स्पर्श की अपेक्षा से हजारों भेद होते हैं । उनके संख्यात लाख योनि-प्रमुख हैं । पर्याप्तक के आश्रय से अपर्याप्त उत्पन्न होते हैं । जहां एक पर्याप्तक होता है, वहां नियम से असंख्यात अपर्याप्तक (उत्पन्न होते हैं ।)
[३२] वायुकायिक जीव किस प्रकार के हैं ? दो प्रकार के हैं । सूक्ष्म और बादर । वे सूक्ष्म वायुकायिक कैसे हैं ? दो प्रकार के हैं-पर्याप्तक और अपर्याप्तक । वे बादर वायुकायिक किस प्रकार के; ? अनेक प्रकार के हैं । पूर्वी वात, पश्चिमीवायु, दक्षिणीवायु, उत्तरीवायु, ऊर्ध्ववायु, अधोवायु, तिर्यग्वायु, विदिग्वायु, वातोद्भ्राम, वातोत्कलिका, वातमण्डलिका, उत्कलिकावात, मण्डलिकावात, गुंजावात, झंझावात, संवर्तकवात, घनवात, तनुवात और शुद्धवात । अन्य जितनी भी इस प्रकार की हवाएँ हैं, (उन्हें भी बादर वायुकायिक ही
समझना) ।
वे (बादर वायुकायिक) संक्षेप में दो प्रकार के हैं । यथा-पर्याप्तक और अपर्याप्तक । इनमें से जो अपर्याप्तक हैं, वे असम्प्राप्त हैं । इनमें से जो पर्याप्तक हैं, उनके वर्ण, गन्ध, रस,
और स्पर्श की अपेक्षा से हजारों प्रकार हैं । इनके संख्यात लाख योनिप्रमुख होते हैं । पर्याप्तक वायुकायिक के आश्रय से, अपर्याप्तक उत्पन्न होते हैं । जहाँ एक (पर्याप्तक वायुकायिक) होता है वहाँ नियम से असंख्यात (अपर्याप्तक वायुकायिक) होते हैं ।
[३३] वे वनस्पतिकायिक जीव कैसे हैं ? दो प्रकार के हैं । सूक्ष्म और बादर ।
[३४] वे सूक्ष्म वनस्पतिकायिक जीव किस प्रकार के हैं ? दो प्रकार के हैं । पर्याप्तक और अपर्याप्तक ।
[३५] बादर वनस्पतिकायिक कैसे हैं ? दो प्रकार के हैं । प्रत्येकशरीर और साधारणशरीर बादरवनस्पतिकायिक ।
[३६] वे प्रत्येकशरीर-बादरवनस्पतिकायिक जीव किस प्रकार के हैं ? बारह प्रकार के हैं । यथा
[३७] वृक्ष, गुच्छ, गुल्म, लता, वल्ली, पर्वग, तृण, वलय, हरित, औषधि, जलरुह और कुहण ।
[३८] वे वृक्ष किस प्रकार के हैं ? दो प्रकार के हैं-एकास्थिक और बहुबीजक । एकास्थिक वृक्ष किस प्रकार के हैं ? अनेक प्रकार के हैं ।
३९] नीम, आम, जामुन, कोशम्ब, शाल, अंकोल्ल, पीलू, शेलु, सल्लकी, मोचकी, मालुक, बकुल, पलाश, करंज । तथा
[४०] पुत्रजीवक, अरिष्ट, बिभीतक, हरड, भल्लातक, उम्बेभरिया, खीरणि, धातकी और प्रियाल । तथा
[४१] पूतिक, करञ्ज, श्लक्ष्ण, शीशपा, अशन, पुनाग, नागवृक्ष, श्रीपर्णी और अशोक।