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जीवाजीवाभिगम-१०/९/३९८
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और उत्कर्ष से साधिक सागरोपमशतपृथक्त्व है ।
भगवन् ! प्रथमसमयमनुष्य का अन्तर कितना है ? गौतम ! जघन्य एक समय कम दो क्षुल्लकभवग्रहण है और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है । अप्रथमसमयमनुष्य का अन्तर जघन्य समयाधिक क्षुल्लकभव और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है । देव का अन्तर नैरयिक की तरह कहना चाहिए । प्रथमसमयसिद्ध और अप्रथमसमयसिद्ध का अन्तर नहीं है | अल्पबहुत्व (१)-सबसे थोड़े प्रथमसमयसिद्ध, उनसे प्रथमसमयमनुष्य असंख्येयगुण, उनसे प्रथमसमयनैरयिक असंख्येयगुण, उनसे प्रथमसमयदेव असंख्यातगुण और उनसे प्रथमसमयतिर्यग्योनिक असंख्येयगुण हैं । अल्पबहुत्व (२)-गौतम ! सबसे थोड़े अप्रथमसमयमनुष्य, उनसे अप्रथमसमयनैरयिक असंख्येयगुण, उनसे अप्रथमसमयदेव असंख्येयगुण, उनसे अप्रथमसमयसिद्ध अनन्तगुण और उनसे अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक अनन्तगुण हैं । अल्पबहुत्व (३)-गौतम ! सबसे थोड़े प्रथमसमयनैरयिक हैं, उनसे असंख्यातगुण अप्रथमसमयनैरयिक हैं । अल्पबहुत्व (४)-गौतम ! सबसे थोड़े प्रथमसमयतिर्यम्योनिक हैं और उनसे अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक अनन्तगुण हैं । अल्पबहुत्व (५)-गौतम ! सबसे थोड़े प्रथमसमयमनुष्य हैं, उनसे अप्रथमसमयमनुष्य असंख्यातगुण हैं । जैसा मनुष्यों के लिए कहा है, वैसा देवों के लिए भी कहना । अल्पबहुत्व (६)-गौतम ! सबसे थोड़े प्रथमसमयसिद्ध हैं, उनसे अप्रथमसमयसिद्ध अनन्तगुण हैं । अल्पबहुत्व (७)-गौतम ! सबसे थोड़े प्रथमसमयसिद्ध हैं, उनसे प्रथमसमयमनुष्य असंख्यातगुण हैं, उनसे अप्रथमसमयमनुष्य असंख्यातगुण हैं, उनसे प्रथमसमयनैरयिक असंख्यातगुण हैं, उनसे प्रथमसमयदेव असंख्यातगुण हैं, उनसे प्रथमसमयतिर्यंच असंख्यातगुण हैं, उनसे अप्रथमसमयनैरयिक असंख्यातगुण हैं, उनसे अप्रथमसमयदेव असंख्यातगुण हैं, उनसे अप्रथमसमयसिद्ध अनन्तगुण हैं, उनसे अप्रथमसमय तिर्यंच अनन्तगुण हैं ।
प्रतिपत्ति-१० का मुनिदीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
|१४ जीवाजीवाभिगम-उपांगसूत्र-३-हिन्दी अनुवाद पूर्ण