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________________ ४३ अन्तकृद्दशा - ८/१/४८ सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर दशम चोला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर पंचोला किया, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर छह उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर सात उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर आठ उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर नव उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर दश उपवास किये, करके, सर्वगुणकामयुक्त पारणा किया। पारणा करके, ग्यारह उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर बारह उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर तेरह उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर चौदह उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर पन्द्रह उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर सोलह उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर चौंतीस बेले किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर सोलह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर पन्द्रह उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर चौदह उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर तेरह उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर बारह उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर ग्यारह उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर दस उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर नव उपवास किये, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर आठ उपवास किये, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, फिर सात उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, छह उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके पंचोला किया, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चोला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, तेला किया, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, बेला किया, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके, उपवास किया, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, आठ बेले किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, बेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, उपवास किया, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया । इस प्रकार इस रत्नावली तपश्चरण की प्रथम परिपाटी की काली आर्या ने आराधना की । सूत्रानुसार रत्नावली तप की इस आराधना की प्रथम परिपाटी एक वर्ष तीन मास और बाईस अहोरात्र में, आराधना पूर्ण की । इस एक परिपाटी में तीन सौ चोरासी दिन तपस्या के एवं अठासी दिन पारणा के होते हैं । इस प्रकार कुल चार सौ बहत्तर दिन होते हैं । इसके पश्चात् दूसरी परिपाटी में काली आर्या ने उपवास किया और विगय रहित पारणा किया, बेला किया और विगय रहित पारणा किया । इस प्रकार यह भी पहली परिपाटी के समान है । इसमें केवल यह विशेष है कि पारणा विगयरहित होता है । इस प्रकार सूत्रानुसार इस दूसरी परिपाटी का आराधन किया जाता है । इसके पश्चात् तीसरी परिपाटी में वह काली आर्या उपवास करती है और लेपरहित पारणा करती है । शेष पहले की तरह है । ऐसे ही काली आर्या ने चौथी परिपाटी की आराधना की । इसमें विशेषता यह है कि सब पारणे आयंबिल से करती हैं । शेष उसी प्रकार है । [४९] प्रथम परिपाटी में सर्वकामगुण, दूसरी में विगयरहित पारणा किया । तीसरी में लेप रहित और चौथी परिपाटी में आयंबिल से पारणा किया ।
SR No.009784
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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