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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
करनेवाले का भी उपकार करने की वृत्ति रखते थे । वे मिट्टी के ढेले और स्वर्ण को एक समान समझते थे । सुख और दुःख में समान भाव रखते थे । वे ऐहिक तथा पारलौकिक आि से बंधे हुए नहीं थे । वे संसारपारगामी तथा कर्मों का निर्घातन हेतु अभ्युत्थित होते हुए विचरण करते थे ।
[१८] इस प्रकार विहरणशील वे श्रमण भगवान् आभ्यन्तर तथा बाह्य तपमूलक आचार का अनुसरण करते थे । आभ्यन्तर तप छह प्रकार का है तथा बाह्य तप भी छह प्रकार का है ।
[१९] बाह्य तप क्या है ? बाह्य तप छह प्रकार के हैं : अनशन, अवमोदरिका, भिक्षाचर्या, रस- परित्याग, कायक्लेश और प्रतिसंलीनता ।
अनशन क्या है - अनशन दो प्रकार का है- १. इत्वरिक - एंव - २. यावत्कथिक । इत्वरिक क्या है ? इत्वरिक अनेक प्रकार का बतलाया गया है, जैसे- चतुर्थ भक्त, षष्ठ भक्त, अष्टम भक्त, दशम, भक्त, -चार दिन के उपवास, द्वादश भक्त - पाँच दिन के उपवास, चतुर्दश भक्त-छह दिन के उपवास षोडश भक्त, अर्द्धमासिक भक्त, मासिक भक्त, द्वैमासिक भक्त, त्रैमासिक भक्त, चातुर्मासिक भक्त, पाञ्चमासिक भक्त, षाण्मासिक भक्त । यह इत्वरिक तपा विस्तार है ।
यावत्कथिक क्या है ? यावत्कथिक के दो प्रकार हैं- पादपोपगमन और भक्तपानप्रत्याख्यान पादपोपगमन क्या है ? पापपोपगमन के दो भेद हैं- १. व्याघातिम और २. निर्व्याघातिम इस में प्रतिकर्म, हलन चलन आदि क्रिया-प्रक्रिया का त्याग रहता है । इस प्रकार पादोपगमन यावत्कथिक अनशन होता है । भक्तप्रत्याख्यान क्या है - भक्तप्रत्याख्यान के दो भेद बतलाये गये हैं - १. व्याघातिम, २. निर्व्याघातिम । भक्तप्रत्याख्यान अनशन में प्रतिकर्म नियमतः होता है । यह भक्त प्रत्याख्यान अनशन का विवेचन है ।
अवमोदरिका क्या है - अवमोदरिका के दो भेद बतलाये गये हैं- द्रव्य अवमोदरिका, और भाव अवमोदरिका - द्रव्य - अवमोदरिका क्या है-दो भेद बतलाये हैं - १. उपकरण - द्रव्य - अवमोदरिका २. भक्तपान - अवमोदरिका - उपकरण - द्रव्य - अवमोदरिका क्या है-तीन भेद बतलाये हैं - १. एक पात्र रखना, २. एक वस्त्र रखना, ३. एक मनोनुकूल निर्दोष उपकरण रखना । यह उपकरण - द्रव्य - अवमोदरिका । भक्तपान- द्रव्य - अवमोदरिका क्या है— अनेक भेद बतलाये हैं, मुर्गी के अंडे के परिमाण के केवल आठ ग्रास भोजन करना अल्पाहार - अवमोदरिका है । मुर्गी के अंडे के परिमाण के १२ ग्रास भोजन करना अपार्ध अवमोदरिका है । मुर्गी के अंडे के परिमाण के सोलह ग्रास भोजन करना अर्ध अवमोदरिका है । मुर्गी के अंडे के परिणाम के चौबीस ग्रास भोजन करना-चौथाई अवमोदरिका है । मुर्गी के अण्डे के परिमाण के इकत्तीस ग्रास भोजन करना किञ्चत् न्यून - अवमोदरिका है । मुर्गी के अण्डे के परिमाण के बत्तीस ग्रास भोजन करने वाला प्रमाणप्राप्त है । भाव- अवमोदरिका क्या है - अनेक प्रकार की है, जैसे- क्रोध, मान, माया और लोभ का त्याग अल्पशब्द, अल्पझंझ - यह भावामोदरिका है ।
भिक्षाचर्या क्या है - अनेक प्रकार की है, - १. द्रव्याभिग्रहचर्या, २. क्षेत्राभिग्रह - चर्या, ३. कालाभिग्रहचर्या, ४. भावाभिग्रहचर्या, ५. उत्क्षिप्तचर्या, ६. निक्षिप्तचर्या, ७. उक्षिप्तनिक्षिप्त-चर्या, ८. निक्षिप्त- उक्षिप्तचर्या, ९. वर्तिष्यमाण-चर्या, १०. संहियमाणचर्या, ११. उपनीतचर्या, १२. अपनीतचर्या, १३ उपनीतापनीतचर्या, १४. अपनीतोपनीत चर्या १५. संसृष्ट-चर्या, १६. असंसृष्ट-चर्या, १७. तज्जातसंसृष्ट-चर्या, १८. अज्ञात-चर्या, १९. मौनचर्या,