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भगवती-१२/-/१०/५६२
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पर्याय वाले द्वितीय देश से आदिष्ट होने पर, असद्रूप है । (इस दृष्टि से) कथंचित् सद्प और कथंचित् असद्प है । सद्भाव पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा से आदिष्ट होने पर सद्प और सद्भाव-असद्भाव वाले दूसरे देश की अपेक्षा से द्विप्रदेशी स्कन्ध सद्रूप-असद्प उभयरूप होने से अवक्तव्य है । एक देश की अपेक्षा से असद्भाव पर्याय की विवक्षा से तथा द्वितीय देश के सद्भाव-असद्भावरूप उभय-पर्याय की अपेक्षा से द्विप्रदेशी स्कन्ध असदप और अवक्तव्यरूप है।
भगवन् ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्मा है अथवा उससे अन्य है ? गौतम ! त्रिप्रदेशी स्कन्धकथंचित् सद्प है । कथंचित् असद्रूप है । सद्-असद्-उभयरूप होने से कथंचित् अवक्तव्य है । कथंचित् सद्प और कथंचित् असद्प है । कथंचित् सद्प और अनेक असद्प हैं । कथंचित् अनेक असद्प तथा असद्प है । कथंचित् सद्प और सद्-असद्-उभयरूप होने से अवक्तव्य है । कथंचित् आत्मा तथा अनेक सद्-असद्रूप होने से अवक्तव्य है । कथंचित् आत्माएँ (अनेक असद्रूप) तथा आत्मा-नो आत्मा उभयरूप से अवक्तव्य है । कथंचित् असद्प तथा आत्मा उभयरूप होने से अवक्तव्य है । कथंचित् असद्प तथा उभयरूप होने से अवक्तव्य है । कथंचित् नो अनेक असद्प तथा उभयरूप होने से अवक्तव्य हैं और कथंचित् सद्प, असद्प और उभयरूप होने से अवक्तव्य है ।
भगवन् ! किस कारण से आप ऐसा कहते हैं ? गौतम ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध-अपने आदेश से सद्प है; पर के आदेश से असद्प है, उभय के आदेश से उभयरूप होने से अवक्तव्य है । एक देश के आदेश से सद्भाव-पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से असद्भावपर्याय की अपेक्षा से वह त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्मा और नो-आत्मारूप है । एक देश के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और बहुत देशों के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से, वह त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्मा और नो-आत्माएँ हैं । बहुत देशों के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्माएँ और नो आत्मा है । एक देश के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से उभय-पर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्मा और आत्मा तथा नो आत्मा-उभयरूप से अवक्तव्य है । एक देश के आदेश से, सद्भावपर्याय की अपेक्षा से और बहुत देशों के आदेश से, उभयपर्याय की विवक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध, आत्मा और आत्माएँ तथा नो आत्माएँ, इस प्रकार उभयरूप से अवक्तव्य है । बहुत देशों के आदेश से सद्भाव-पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से उभयपर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्माएँ और आत्मा-नो आत्मा-उभयरूप से अवक्तव्य है । ये तीन भंग जानने चाहिए । एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से उभयपर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध नो आत्मा और आत्मा-नो आत्मा-उभयरूप से अवक्तव्य है । एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय को अपेक्षा से और बहुत देशों के आदेश से और तदुभय-पर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध नोआत्मा और आत्माएँ तथा नो आत्मा इस उभयरूप से अवक्तव्य है । बहुत देशों के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से तदुभय पर्याय की अपेक्षा से, त्रिप्रदेशी स्कन्ध नो-आत्माएँ और आत्मा तथा नो-आत्मा इस उभयरूप से अवक्तव्य है । एक देश के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा से, एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से तदुभय पर्याय की अपेक्षा से, त्रिप्रदेशी स्कन्ध कथञ्चित्