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________________ भगवती-१२/-/१०/५६० होती है, उसके द्रव्यात्मा होती है ? गौतम ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके कषायात्मा कदाचित् होती है और कदाचित् नहीं भी होती । किन्तु जिसके कषायात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा अवश्य होती है । भगवन् ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, क्या उसके योग-आत्मा होती है और जिसके योग-आत्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा होती है ? गौतम ! द्रव्यात्मा और कषायात्मा के समान द्रव्यात्मा और योग-आत्मा का सम्बन्ध कहना । इसी प्रकार शेष सभी आत्माओं के द्रव्यात्मा से सम्बन्ध में प्रश्न । गौतम ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके उपयोगात्मा अवश्य होती है और जिसके उपयोगात्मा होती है उसके द्रव्यात्मा अवश्यमेव होती है । जिसके द्रव्यात्मा होती है उसके ज्ञानात्मा भजना और जिसके ज्ञानात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा अवश्य होती है । जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा अवश्यमेव होती है तथा जिसके दर्शनात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा भी अवश्य होती है । जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा भजना से होती है, जिसके चारित्रात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा अवश्य होती है । जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके वीर्य-आत्मा भजना से होती है, किन्तु जिसके वीर्य-आत्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा अवश्यमेव होती है । __ भगवन् ! जिसके कषायात्मा होती है, क्या उसके योगात्मा होती है ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! जिसके कषायात्मा होती है, उसके योग-आत्मा अवश्य होती है, किन्तु जिसके योगआत्मा होती है, उसके कषायात्मा भजना से होती है । इसी प्रकार उपयोगात्मा के साथ भी कषायात्मा का सम्बन्ध समझ लेना । कषायात्मा और ज्ञानात्मा का परस्पर सम्बन्ध भजना से कहना । कषायात्मा और उपयोगात्मा के समान ही कषायात्मा और दर्शनात्मा को कहना। कषायात्मा और चारित्रात्मा का (सम्बन्ध) भजना से कहना । कषायात्मा और योगात्मा के समान ही कषायात्मा और वीर्यात्मा के सम्बन्ध कहना । कषायात्मा के साथ अन्य छह आत्माओं के पारस्परिक सम्बन्ध के समान योगात्मा के साथ भी आगे की पांच आत्माओं के परस्पर सम्बन्ध समझना । द्रव्यात्मा की वक्तव्यता अनुसार उपयोगात्मा की वक्तव्यता भी आगे की चार आत्माओं के साथ कहनी चाहिए । जिसके ज्ञानात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा अवश्य होती है और जिसके दर्शनात्मा होती है, उसके ज्ञानात्मा भजना से होती है । जिसके ज्ञानात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा भजना से होती है और जिसके चारित्रात्मा होती है, उसके ज्ञानात्मा अवश्य होती है । ज्ञानात्मा और वीर्यात्मा इन दोनों का परस्पर-सम्बन्ध भजना से कहना । जिसके दर्शनात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा और वीर्यात्मा, ये दोनों भजना से होती हैं; किन्तु जिसके चारित्रात्मा और वीर्यात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा अवश्य होती है । जिसके चारित्रात्मा होती है, उसके वीर्यात्मा अवश्य होती है, किन्तु जिसके वीर्यात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा भजना से होती । भगवन् ! द्रव्यात्मा, कषायात्मा यावत् वीर्यात्मा-इनमें से कौन-सी आत्मा, किससे अल्प, बहुत, यावत् विशेषाधिक है ? गौतम ! सबसे थोड़ी चारित्रात्माएँ हैं, उनसे ज्ञानात्माएँ अनन्तगुणी हैं, उनसे कषायात्माएँ अनन्तगुणी हैं, उनसे योगात्माएँ विशेषाधिक हैं, उनसे वीर्यात्माएँ विशेषाधिक हैं, उनसे उपयोगात्मा, द्रव्यात्मा और दर्शनात्मा, ये तीनों विशेषाधिक हैं और तीनों तुल्य हैं । [५६१] भगवन् ! आत्मा ज्ञानस्वरूप है या अज्ञानस्वरूप है ? गौतम ! आत्मा कदाचित् ज्ञानरूप है, कदाचित् अज्ञानरूप है । (किन्तु) ज्ञान तो नियम से आत्मस्वरूप है। भगवन् ! नैरयिकों की आत्मा ज्ञानरूप है अथवा अज्ञानरूप है ? गौतम ! कथञ्चित्
SR No.009782
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size18 MB
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