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भगवती-१२/-/५/५४२ कहे हैं ? गौतम ! (ये) पांच वर्ण, दो गन्ध, पांच रस और चार स्पर्श वाले कहे हैं ।
भगवन् ! क्रोध, कोप, रोष, द्वेष अक्षमा, संज्वलन, कलह, चाण्डिक्य, भण्डन और विवाद-ये कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाले कहे हैं ? गौतम ! ये (सब) पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और चार स्पर्श वाले कहे हैं । भगवन् ! मान, मद, दर्प, स्तम्भ, गर्व, अत्युत्क्रोश, परपरिवाद, उत्कर्ष, अपकर्ष, उन्नत, उन्नाम और दुर्नाम-ये कितने वर्ण, कितने गन्ध, कितने रस
और कितने स्पर्श वाले कहे हैं ? गौतम ! पूर्ववत् । भगवन् ! माया, उपधि, निकृति, वलय, गहन, नूम, कल्क, कुरूपा, जिह्मता, किल्विष आदरण, गूहनता, वञ्चनता, प्रतिकुञ्चनता, और सातियोग-इन (सब) में कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श हैं ? गौतम ! पूर्ववत् । भगवन् ! लोभ, इच्छा, मूर्छा, काँक्षा, गृद्धि, तृष्णा, भिध्या, अभिध्या, आशंसनता, प्रार्थनता, लालपनता, कामाशा, भोगाशा, जीविताशा, मरणाशा और नन्दिराग, ये कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाले हैं ? गौतम ! क्रोध के समान जानना ।
भगवन् ! प्रेम-राग, द्वेष कलह, यावत् मिथ्यादर्शन-शल्य, इन (सब पापस्थानों) में कितने वर्ण आदि हैं ? क्रोध के समान इनमें भी चार स्पर्श हैं, यहाँ तक कहना।
[५४३] भगवन् ! प्राणातिपात-विरमण यावत् परिग्रह-विरमण तथा क्रोधविवेक यावत् मिथ्यादर्शनशल्यविवेक, इन सबमें कितने वर्ण, कितने गन्ध, कितने रस और कितने स्पर्श कहे हैं ? गौतम ! (ये सभी) वर्णरहित, गन्धरहित, रसरहित और स्पर्शरहित कहे हैं । भगवन् !
औत्पत्तिकी, वैनयिकी, कार्मिक और पारिणामिकी बुद्धि कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाली हैं ? गौतम ! पूर्ववत् जानना। भगवन् ! अवग्रह, ईहा, अवाय और धारणा में कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श कहे हैं ? गौतम ! (ये चारों) वर्ण यावत् स्पर्श से रहित कहे हैं । भगवन् ! उत्थान, कर्म, बल, वीर्य और पुरुषकार-पराक्रम, इन सबमें कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श हैं ? गौतम! ये सभी पूर्ववत् वर्णादि यावत् स्पर्श से रहित कहे हैं ।
__ भगवन् ! सप्तम अवकाशान्तर कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्शवाला है ? गौतम ! वह वर्ण यावत् स्पर्श से रहित है । भगवन् ! सप्तम तनुवात कितने वर्णादिवाला है ? गौतम ! इसका कथन प्राणातिपात के समान करना । विशेष यह है कि यह आठ स्पर्शवाला है । सप्तम तनुवात के समान सप्तम घनवात, घनोदधि एवं सप्तम पृथ्वी के विषय में कहना । छठा अवकाशान्तर वर्णादि रहित है । छठा तनुवात, घनवात, घनोदधि और छठी पृथ्वी, ये सब आठ स्पर्श वाले हैं। सातवीं पृथ्वी की वक्तव्यता समान प्रथम पृथ्वी तक जानना । जम्बूद्वीप से लेकर स्वयम्भूमरण समुद्र तक, सौधर्मकल्प से ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी तक, नैरयिकावास से लेकर वैमानिकवास तक सब आठ स्पर्श वाले हैं।
भगवन् ! नैरयिकों में कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श कहे हैं ? गौतम ! वैक्रिय और तैजस पुद्गलों की अपेक्षा से उनमें पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श कहे हैं । कार्मणपुद्गलों की अपेक्षा से पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और चार स्पर्श कहे हैं । जीव की अपेक्षा से वे वर्णरहित यावत् स्पर्शरहित कहे हैं । इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमारों तक कहना चाहिए । भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाले हैं ? गौतम !
औदारिक और तैजस पुद्गलों की अपेक्षा पांच वर्ण, दो गन्ध, पांच रस और आठ स्पर्श वाले कहे हैं । कार्मण की अपेक्षा और जीव की अपेक्षा, पूर्ववत् जानना चाहिए । इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय