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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
संख्यातप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर असंख्यात असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा असंख्यात अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । अनन्त विभाग किये जाने पर पृथक्-पृथक् अनन्त - परमाणु पुद्गल होते हैं । [५३९] भगवन् इन परमाणु- पुद्गलों के संघात और भेद के सम्बन्ध से होने वाले अनन्तानन्त पुद्गलपरिवर्त्त जानने योग्य हैं, (क्या) इसीलिए इनका कथन किया है ? हाँ, गौतम ! ये जानने योग्य हैं, इसीलिए ये कहे गये हैं ।
भगवन् ! पुद्गलपरिवर्त्त कितने प्रकार का है ? गौतम ! सात प्रकार का यथा - औदारिकपुद्गलपरिवर्त्त, वैक्रिय- पुद्गलपरिवर्त्त, तैजस- पुद्गलपरिवर्त्त, कार्मण-पुद्गल - परिवर्त, मनःपुद्गलपरिवर्त्त, वचन - पुद्गलपरिवर्त्त और आनप्राण- पुद्गलपरिवर्त्त । भगवन् ! नैरयिकों के पुद्गलपरिवर्त्त कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! सात प्रकार के, यथा- औदारिक- पुद्गलपरिवर्त्त, यावत् आनप्राण- पुद्गलपरिवर्त्त । इसी प्रकार वैमानिक तक कहना ।
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भगवन् ! एक-एक जीव के अतीत औदारिक- पुद्गलपरिवर्त्त कितने हुए गौतम ! अनन्त हुए हैं । भविष्यकालीन पुद्गलपरिवर्त्त कितने होंगे ? गौतम ! किसी के होंगे और किसी के नहीं होंगे । जिसके होंगे, उसके जघन्य एक, दो तीन होंगे तथा उत्कृष्ट संख्यात, असंख्यात या अनन्त होंगे । इसी प्रकार यावत्-आन-प्राण तक सात आलापक कहना ।
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भगवन् ! प्रत्येक नैरयिक के अतीत औदारिक- पुद्गलपरिवर्त्त कितने हैं ? गौतम ! (वे) अनन्त हैं । भगवन् भविष्यकालीन कितने होंगे ? गौतम ! किसी के होंगे, किसी के नहीं होंगे । जिस के होंगे, उसके जघन्य एक, दो (या) तीन होंगे और उत्कृष्ट संख्यात, असंख्यात या अनन्त होंगे । भगवन् ! प्रत्येक असुरकुमार के अतीतकालिक कितने औदारिक- पुद्गलपरिवर्त हुए हैं ? गौतम ! पूर्ववत् । इसी प्रकार यावत् वैमानिक ( के अतीत पुद्गलपरिवर्त्त) तक ( कहना 1)
भगवन् ! प्रत्येक नारक के भूतकालीन वैक्रिय - पुद्गलपरिवर्त्त कितने हुए हैं ? गौतम ! अनन्त हुए हैं । औदारिक- पुद्गलपरिवर्त्त के समान वैक्रियपुद्गलपरिवर्त्त के विषय में कहना । इसी प्रकार यावत् प्रत्येक वैमानिक के आनाप्राण - पुद्गलपरिवर्त्त तक कहना । इस प्रकार वैमानिक तक के प्रत्येक जीव की अपेक्षा से ये सात दण्डक होते हैं ।
भगवन् ! (समुच्चय) नैरयिकों के अतीतकालीन औदारिक- पुद्गलपरिवर्त्त कितने हुए हैं ? गौतम ! अनन्त हुए हैं । भगवन् ! (समुच्चय) नैरयिक जीवों के भविष्यत्कालीन पुद्गलपरिवर्त कितने होंगे ? गौतम ! अनन्त होंगे । इसी प्रकार वैमानिकों तक कथन करना । इसी प्रकार वैक्रियपुद्गलपरिवर्त्त के विषय में कहना । इसी प्रकार यावत् आन-प्राण- पुद्गलपरिवर्त्त तक । इस प्रकार पृथक्-पृथक् सातों पुद्गलपरिवर्त्तो के विषय में सात आलापक समुच्चय रूप से चौवीस दण्डकवर्ती जीवों के विषय कहना ।
भगवन् ! प्रत्येक नैरयिक जीव के, नैरियक अवस्था में अतीत औदारिक- पुद्गलपरिवर्त्त कितने हुए हैं ? गौतम ! एक भी नहीं हुआ । भगवन् ! भविष्यकालीन कितने होंगे ? गौतम ! एक भी नहीं होगा । भगवन् ! प्रत्येक नैरयिक जीव के, असुरकुमाररूप में अतीत औदारिकपुद्गलपरिवर्त्त कितने हुए हैं ? गौतम ! इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमार तक कहना ।
भगवन् ! प्रत्येक नैरयिक जीव के पृथ्वीकाय के रूप में अतीत में औदारिकपुद्गलपरिवर्त